UPSC की परीक्षा में सफलता पाना कोई बच्चों का खेल नहीं है। पढ़ाई में होशियार छात्र भी लंबी कोशिशों के बावजूद इसमें सफलता प्राप्त नहीं कर पाते हैं। किसी प्रकार की शारीरिक दिव्यांगता के साथ इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बारे में शायद ही कोई सोच पाता होगा। लेकिन इस नामुमकिन से दिखने वाले काम को पूरा कर दिखाया है मानवेंद्र सिंह ने।
सेरीब्रल पल्सी से प्रभावित होने के बावजूद मानवेंद्र ने साल 2025 की UPSC इंजीनियरिंग सर्विसेज की परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। देशभर में मानवेंद्र का रैंक 112 है। सिर्फ इतना ही नहीं, मानवेंद्र सिंह ने अपने पहले प्रयास में ही इस परीक्षा में सफलता प्राप्त की है।
उत्तर प्रदेश के मेरठ का रहने वाला मानवेंद्र सिंह बचपन में ही सेरीब्रल पल्सी का शिकार हो गया था। मात्र 6 महीने की उम्र में उसकी इस बीमारी का पता चला। इसकी वजह से पढ़ाई-लिखाई से लेकर रोजमर्रा के कामों में उसके काफी कठिनाई भी आती है। जिस उम्र में बच्चे नई-नई पेंसिल और कलम ले लिखने की जिद्द करते हैं, मानवेंद्र को उस उम्र में पेंसिल पकड़ने में भी समस्या होती थी।
मानवेंद्र की मां रेणु सिंह एक स्कूल शिक्षिका हैं। बेटे के इलाज के लिए रेणु सिंह देशभर में करीब 50 से ज्यादा अस्पतालों के चक्कर काट चुकी हैं। महज 17 साल की उम्र में मानवेंद्र ने अपने पिता को भी खो दिया। इसकी वजह से शुरुआत में तो उसे मानसिक धक्का लगा था लेकिन बाद में धीरे-धीरे परिवार की जिम्मेदारियां लेना सीख गया।
जब मानवेंद्र ने 12वीं की परीक्षा पास की तब उसे किसी आसान विषय में अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करने की सलाह दी गयी। लेकिन अपनी जिद्द पर अड़े मानवेंद्र सिंह ने आईआईटी में ही दाखिला लेने की ठान ली थी। एंट्रांस परीक्षा भी दी और देश भर में 63वां रैंक प्राप्त किया। बस फिर क्या था...!
IIT पटना में दाखिला लिया और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से बी.टेक की डिग्री हासिल की। इसके बाद दिल्ली जाकर UPSC इंजीनियरिंग सर्विसेज की तैयारियां शुरू कर दी। पहले प्रयास में ही मानवेंद्र ने इसमें सफलता भी प्राप्त की। बेटे की सफलता से उत्साहित मानवेंद्र की मां रेणु सिंह का कहना है कि UPSC की परीक्षा पास करने के बाद भी बेटा एक लंबी और कठिन लड़ाई लड़ रहा है। वह बचपन से ही शारीरिक व सामाजिक दिव्यांगता के साथ लड़ता आ रहा है।
मानवेंद्र सिंह की यह सफलता एक बार फिर से याद दिला देती है कि अभ्यास, आत्मविश्वास और अदम्य मानसिक शक्ति होने पर शारीरिक समस्याएं भी सफलता के रास्ते में कभी बाधा नहीं बन सकती है।