नई दिल्ली: वैश्विक स्तर पर शिक्षा प्राप्त करने की चाह रखने वाले भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसी को देखते हुए अमेरिका की यूनिवर्सिटियां नवोन्मेषी शैक्षणिक सहयोग, आर्टिकुलेशन प्रोग्राम और अनुभवात्मक (एक्सपीरिएंशियल) लर्निंग पहल के जरिए भारतीय छात्रों के लिए नए अवसर खोल रही हैं।
इस दिशा में दो हालिया पहल सेंट लुईस यूनिवर्सिटी (SLU) का मुंबई विश्वविद्यालय के साथ 1+1 आर्टिकुलेशन प्रोग्राम और रोचेस्टर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (RIT) दुबई का EduCreator 2025 सिम्पोजियम यह दर्शाते हैं कि अमेरिकी संस्थान भारतीय छात्रों के लिए वैश्विक शिक्षा के रास्तों को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं।
अमेरिका की सबसे पुरानी कैथोलिक रिसर्च यूनिवर्सिटियों में शामिल सेंट लुईस यूनिवर्सिटी ने फॉल 2025 में मुंबई विश्वविद्यालय के छात्रों के पहले बैच का स्वागत किया। इस 1+1 प्रोग्राम के तहत भारतीय छात्र अपनी स्नातकोत्तर पढ़ाई का पहला वर्ष मुंबई में पूरा करते हैं और दूसरा वर्ष अमेरिका स्थित SLU कैंपस में पढ़ते हैं, जिसके बाद उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अमेरिकी डिग्री मिलती है। 2024 में एनालिटिक्स और साइबर सिक्योरिटी जैसे पाठ्यक्रमों के साथ शुरू हुई इस साझेदारी ने छात्रों के अनुभव को बदलना शुरू कर दिया है। SLU की अंतरिम उपाध्यक्ष जीन मैरी कॉक्स के अनुसार, यह कार्यक्रम अकादमिक मोबिलिटी को बढ़ावा देता है और भारतीय छात्रों को व्यावहारिक शिक्षा व सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है।
पहले बैच के छात्र ओम महादेव मडत ने इसे “परिवर्तनकारी अनुभव” बताया, जहां उन्हें करियर फेयर, इंडस्ट्री प्रोफेशनल्स से जुड़ने और वैश्विक नेटवर्क बनाने का अवसर मिला। वहीं, एमएस एनालिटिक्स की छात्रा वृंदा ठाकुर ने SLU के सहयोगी और समावेशी अकादमिक माहौल की सराहना की।
दूसरी ओर, RIT दुबई ने EduCreator 2025 सिम्पोज़ियम के माध्यम से अनुभवात्मक शिक्षा पर ज़ोर दिया। इसमें भारत सहित पांच देशों के 28 शिक्षाविदों ने भाग लिया और “भविष्य के लिए तैयार छात्रों” को तैयार करने पर चर्चा की। भारतीय शिक्षाविदों और RIT नेतृत्व ने शिक्षा, उद्योग और समाज के बीच मजबूत तालमेल की आवश्यकता पर बल दिया।ये पहलें दर्शाती हैं कि अमेरिकी यूनिवर्सिटियां अब केवल डिग्री ही नहीं, बल्कि भारतीय छात्रों को इंडस्ट्री 4.0 के लिए तैयार करने वाले व्यावहारिक कौशल भी दे रही हैं।