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2026 से प्रवेश परीक्षाओं में फेशियल बायोमेट्रिक और लाइव फोटो अनिवार्य: NTA

डिजिटल सुरक्षा की ओर कदम: प्रवेश परीक्षाओं में AI आधारित फेशियल वेरिफिकेशन

By रजनीश प्रसाद

Dec 23, 2025 18:58 IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) वर्ष 2026 से सभी प्रमुख प्रवेश परीक्षाओं में परीक्षा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए फेशियल बायोमेट्रिक जांच और लाइव फोटोग्राफी की व्यवस्था लागू करेगी। इसकी शुरुआत जनवरी 2026 में होने वाली जेईई (मेन) परीक्षा से की जाएगी। इस कदम का उद्देश्य परीक्षाओं में फर्जी उम्मीदवारों (इम्पर्सोनेशन) और अन्य अनियमितताओं पर रोक लगाना है। अधिकारियों के अनुसार, परीक्षा प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में उम्मीदवारों की रीयल-टाइम पहचान सत्यापन सुनिश्चित किया जाएगा।

उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि परीक्षा के दौरान फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम लागू किया जाएगा और आवेदन भरते समय लाइव फोटोग्राफी की जाएगी। इसकी शुरुआत जनवरी 2026 से जेईई (मेन) के साथ होगी।

फेशियल बायोमेट्रिक सत्यापन में व्यक्ति की पहचान उसके चेहरे की विशिष्ट विशेषताओं जैसे आंखों के बीच की दूरी, नाक की बनावट आदि का विश्लेषण कर की जाती है। इसके लिए एक डिजिटल टेम्पलेट बनाया जाता है, जिसकी तुलना पहले से संग्रहित डेटा से की जाती है। इस प्रक्रिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भी मदद ली जाती है। वहीं, लाइव फोटोग्राफी के तहत ऑनलाइन आवेदन या परीक्षा के दौरान वेबकैम या मोबाइल कैमरे से उम्मीदवार की वास्तविक समय में तस्वीर ली जाती है, ताकि किसी और के स्थान पर परीक्षा देने की संभावना खत्म की जा सके।

एनटीए द्वारा आयोजित जेईई (मेन) 2026 परीक्षा 21 जनवरी से 30 जनवरी 2026 के बीच प्रस्तावित है। वर्ष 2017 में स्थापित एनटीए, जेईई (इंजीनियरिंग), नीट-यूजी (मेडिकल) और सीयूईटी (स्नातक व परास्नातक पाठ्यक्रम) जैसी प्रमुख परीक्षाओं का संचालन करता है। ये सभी उपाय राधाकृष्णन समिति की सिफारिशों का हिस्सा हैं, जिसका गठन नीट-यूजी 2024 में सामने आई गड़बड़ियों के बाद किया गया था। समिति ने प्रवेश परीक्षा प्रणाली में डिजिटलाइजेशन, सुरक्षा और प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर जोर दिया है।

पूर्व इसरो प्रमुख आर. राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय समिति ने सुधारों के लिए दो चरणों की योजना सुझाई हैः

पहला (तत्काल/अल्पकालिक): एनटीए का पुनर्गठन और बहु-स्तरीय बायोमेट्रिक सत्यापन (पंजीकरण, परीक्षा केंद्र, काउंसलिंग)।

दूसरा (दीर्घकालिक): “डिजी-एग्ज़ाम” प्लेटफॉर्म, जिसमें डिजी-यात्रा की तरह बायोमेट्रिक आधारित डिजिटल परीक्षाएं कराई जाएंगी।

इस बहु-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था का लक्ष्य एक अधिक सुरक्षित और छेड़छाड़ रहित परीक्षा प्रणाली तैयार करना है।

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