नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के राज्य सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों में नियमित कुलपतियों (वीसी) की नियुक्ति से जुड़े मामले की सुनवाई जनवरी तक के लिए टाल दी। यह निर्णय अटॉर्नी जनरल और राज्य सरकार के वकील की संयुक्त मांग पर लिया गया।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी की दलीलों पर गौर किया, जो राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस के कार्यालय की ओर से पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि इस मामले में कुछ सकारात्मक प्रगति हुई है।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के 36 राज्य सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्ति को लेकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी टकराव को खत्म करने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष 8 जुलाई को पूर्व मुख्य न्यायाधीश यू. यू. ललित की अध्यक्षता में एक सर्च-कम-सेलेक्शन कमेटी का गठन किया था।
इससे पहले, 22 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने राज्यपाल कार्यालय से उस याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2022 को मंजूरी देने में कथित देरी का आरोप लगाया गया था। यह विधेयक जून 2022 में राज्य विधानसभा से पारित हुआ था।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 2022 में एक विधेयक पारित कर राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री को सभी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति (चांसलर) बनाने का प्रस्ताव रखा था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के प्रधान सचिव और भारत संघ को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा था।