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‘सुरक्षा के अभाव’ के कारण नई दिल्ली ने ढाका स्थित भारतीय वीज़ा आवेदन केंद्र बंद किया, कड़े कदमों के संकेत

आगामी 12 फरवरी को बांग्लादेश में आम चुनाव होने हैं। उससे पहले भारत-विरोधी सुर तेज़ कर रहे हैं भेदभाव-विरोधी छात्र आंदोलन के नेता

By कौशिक भट्टाचार्य, Posted by डॉ.अभिज्ञात

Dec 18, 2025 08:37 IST

नयी दिल्लीः पिछले कुछ दिनों से बांग्लादेश के भेदभाव-विरोधी छात्र आंदोलन के नेता लगातार भारत को निशाना बना रहे हैं। यहाँ तक कि भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को देश से अलग करने की धमकी भी दी गई है। ऐसे माहौल में बुधवार को भारत ने ढाका में स्थित वीज़ा आवेदन केंद्र बंद कर दिया। ‘इंडियन वीज़ा एप्लिकेशन सेंटर’ ने अपने बयान में कहा कि यह फैसला सुरक्षा कारणों से लिया गया है।

ढाका के जमुना फ्यूचर पार्क में स्थित इंडियन वीज़ा एप्लिकेशन सेंटर को बुधवार दोपहर 2 बजे से बंद कर दिया गया। फिलहाल यह कितने दिनों तक बंद रहेगा, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। बयान में केवल इतना कहा गया है कि जिन आवेदकों ने बुधवार के लिए स्लॉट बुक किया था, उन्हें नई तारीख़ और समय की सूचना दे दी जाएगी।

घटना की शुरुआत सोमवार को हुई। बांग्लादेश की नेशनल सिटिज़न पार्टी (NCP) के प्रमुख नाहिद इस्लाम ने धमकी भरे लहजे में कहा था, “अगर भारत यह सोचता है कि वह पहले की तरह बांग्लादेश में राजनीतिक हस्तक्षेप और चुनावों में हेरफेर करेगा तो यह उसकी ग़लतफ़हमी है।” उन्होंने यह चेतावनी भी दी थी कि भारत की स्वतंत्रता और संप्रभुता बांग्लादेश पर निर्भर है। उनके सहयोगी हसनात अब्दुल्ला ने और कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था, “ज़रूरत पड़ी तो हम सेवन सिस्टर्स को अलग कर देंगे।”

इसके बाद उसी दिन नई दिल्ली में भारत के विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश के कार्यवाहक उच्चायुक्त एम. रियाज़ हामिदुल्लाह को तलब किया। उन्हें बताया गया कि केंद्र सरकार ढाका स्थित भारतीय दूतावास की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। संयोगवश इसके कुछ ही घंटों बाद वीज़ा आवेदन केंद्र बंद किए जाने की घोषणा सामने आई।

इस मुद्दे पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, कार्यवाहक उच्चायुक्त को तलब किए जाने के तुरंत बाद वीज़ा आवेदन केंद्र बंद करने के फैसले को कूटनीतिक विश्लेषकों का एक वर्ग काफ़ी महत्वपूर्ण मान रहा है। उल्लेखनीय है कि आगामी 12 फ़रवरी को बांग्लादेश में आम चुनाव हैं और उसी दिन जुलाई चार्टर पर जनमत संग्रह भी कराया जाएगा। इस पृष्ठभूमि में हालात और अशांत होने की आशंका कूटनीतिक विशेषज्ञ जता रहे हैं।

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