नई दिल्ली: विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ सहित अनेक ऐतिहासिक स्मारकों को आकार देने वाले प्रख्यात मूर्तिकार राम वंजी सुतार का बुधवार देर रात नोएडा स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। वह 100 वर्ष के थे और उम्र से संबंधित बीमारियों से पीड़ित थे। उनके निधन से आधुनिक भारतीय मूर्तिकला जगत को अपूरणीय क्षति पहुँची है। सुतार का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जायेगा।
करीब सात दशकों से अधिक के अपने कलात्मक जीवन में राम सुतार ने भारत की सार्वजनिक कला को नई ऊँचाइयाँ दीं। उनकी कृतियाँ न केवल आकार में विराट थीं, बल्कि उनमें ऐतिहासिक गहराई और यथार्थवादी अभिव्यक्ति का अद्भुत समन्वय भी देखने को मिलता था। इसी कारण उन्हें “स्टैच्यू मैन” के नाम से भी जाना जाता था।
19 फरवरी 1925 को महाराष्ट्र के धुले जिले के गोंडूर गाँव में जन्मे राम सुतार एक साधारण परिवार से उठकर देश के सबसे प्रतिष्ठित कलाकारों में शामिल हुए। उन्होंने मुंबई के सर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट से स्वर्ण पदक के साथ शिक्षा पूरी की, जहाँ से उनकी प्रतिभा को व्यापक पहचान मिली। बाद के वर्षों में वह नोएडा में आधारित रहे और वहीं उनका स्टूडियो था। महात्मा गांधी की उनकी प्रतिमाएँ दुनिया भर के 450 से अधिक शहरों में स्थापित हैं। उनकी प्रमुख कृतियों में संसद परिसर में ध्यान मुद्रा में स्थापित महात्मा गांधी की प्रतिमा भी शामिल है। राम सुतार अन्य कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं से भी जुड़े रहे, जिनमें अयोध्या में 600 फुट ऊँची भगवान राम की प्रतिमा और मुंबई में 400 फुट ऊँची छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा शामिल हैं।
राम सुतार को वैश्विक ख्याति गुजरात के केवड़िया में स्थापित 182 मीटर ऊँची सरदार वल्लभभाई पटेल की ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के मुख्य शिल्पकार के रूप में मिली। यह परियोजना विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा के निर्माण के साथ-साथ भारत को स्मारक कला के वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करने में मील का पत्थर साबित हुई। उनकी मूर्तियों की विशेषता उनके जीवंत भाव, सूक्ष्म विवरण और यथार्थवादी शिल्प है। उनकी तुलना अक्सर रोडिन और माइकल एंजेलो जैसे महान कलाकारों से की जाती है।
कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए राम सुतार को पद्म श्री, पद्म भूषण और महाराष्ट्र का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘महाराष्ट्र भूषण’ सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। अंतरराष्ट्रीय ख्याति के बावजूद वह सादगी, विनम्रता और अपने शिल्प के प्रति आजीवन समर्पण के लिए जाने जाते थे। उन्होंने जीवन के अंतिम वर्षों तक सक्रिय रहकर युवा मूर्तिकारों का मार्गदर्शन किया।
राम सुतार अपने पीछे परिवार छोड़ गए हैं। उनके पुत्र अनिल सुतार ने कई प्रमुख परियोजनाओं में उनके साथ सहयोग किया, जिनमें महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में प्रस्तावित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा भी शामिल है। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसे कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया।