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सिर्फ नाम ही नहीं, 100 दिन के काम की योजना में और क्या-क्या बदलाव ला रही है केंद्र?

नए बिल में किन-किन बदलावों का प्रस्ताव है? आइए जानते हैं।

By देवदीप चक्रवर्ती, Posted by डॉ.अभिज्ञात

Dec 17, 2025 19:07 IST

नयी दिल्लीः नाम बदला! क्या ग्रामीण रोजगार योजना का स्वरूप भी बदल रहा है?

कांग्रेस शासनकाल में शुरू हुई महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट, 2005 का नाम बदलकर अब ‘VB-जीरामजी’, यानी ‘विकसित भारत- गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ कर दिया गया है। हालांकि, केवल नाम ही नहीं, इस योजना के कई पहलुओं में बदलाव किए जा रहे हैं। आइए एक नज़र डालते हैं।

रोजगार के दिनों की संख्या में वृद्धिः पहले यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों को साल में कुल 100 दिनों के मज़दूरी आधारित रोजगार की गारंटी देती थी। लेकिन भाजपा सरकार द्वारा प्रस्तावित नए बिल के अनुसार अब 125 दिनों के रोजगार की गारंटी दी जाएगी।

योजना के खर्च का बंटवारा केंद्र और राज्य के बीचः MGNREGA योजना में मज़दूरी की पूरी राशि पहले केंद्र सरकार देती थी। जॉब कार्ड धारकों को समय पर मज़दूरी न मिलने को लेकर विपक्षी दल अक्सर केंद्र के खिलाफ आवाज़ उठाते रहे हैं। नए बिल के अनुसार इस व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया गया है। अब इस योजना का खर्च केंद्र और राज्य मिलकर वहन करेंगे।

बिल की धारा 22(2) के अनुसार उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के लिए खर्च का अनुपात 90:10 होगा। बाकी राज्यों के लिए यह अनुपात 60:40 रहेगा। यानी अब संबंधित राज्यों को (उत्तर-पूर्वी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 10 प्रतिशत) 40 प्रतिशत खर्च उठाना होगा।

पूर्व-स्वीकृत योजनाओं के तहत कामः MGNREGA के तहत ग्रामीण परिवारों को ज़रूरत पड़ने पर काम मांगने और रोजगार न मिलने पर मुआवज़े का दावा करने का अधिकार था। लेकिन नए बिल के अनुसार रोजगार का सृजन पूर्व-स्वीकृत योजनाओं के माध्यम से किया जाएगा। ब्लॉक, ज़िला और राज्य स्तर की योजनाएं राष्ट्रीय स्तर के फ्रेमवर्क के अनुरूप होंगी।

कृषि मज़दूरों की उपलब्धताः नए बिल के अनुसार फसल बोने और कटाई के मौसम में ग्रामीण रोजगार को 60 दिनों तक स्थगित रखने का प्रावधान लागू किया जाएगा। इसका उद्देश्य ग्रामीण रोजगार और कृषि उत्पादकता के बीच संतुलन बनाए रखना है। दावा किया जा रहा है कि इससे कृषि कार्यों के लिए पर्याप्त मज़दूरों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी और महत्वपूर्ण समय पर मज़दूरों की कमी को लेकर किसानों की शिकायतों का समाधान होगा।

मज़दूरी भुगतान के नियम में बदलावः पहले MGNREGA योजना के तहत 15 दिनों के भीतर मज़दूरी का भुगतान किया जाता था। ‘जीरामजी’ के अनुसार अब मज़दूरों को हर सप्ताह मज़दूरी का भुगतान किया जाएगा। किसी भी स्थिति में 15 दिन के बाद मज़दूरी का भुगतान नहीं किया जा सकेगा।

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