कोलकाता: श्री शिक्षायतन महाविद्यालय द्वारा 18 दिसंबर को तृतीय सीताराम जी सेकसरिया स्मृति व्याख्यान का सफल एवं गरिमामय आयोजन किया गया। महाविद्यालय द्वारा संचालित यह प्रतिष्ठित व्याख्यानमाला संस्थापक स्वर्गीय सीताराम जी सेकसरिया की पुण्य स्मृति को समर्पित है, जिनकी दूरदर्शी सोच, शैक्षणिक प्रतिबद्धता और मूल्यों के कारण यह संस्था आज भी अपने शैक्षिक उद्देश्यों की ओर सतत अग्रसर है।
यह आयोजन महाविद्यालय समुदाय के लिए अपनी संस्थागत जड़ों से जुड़ने तथा उस समृद्ध विरासत को सम्मानपूर्वक स्मरण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर सिद्ध हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ परंपरानुसार गणेश वंदना से हुआ जिसे कॉलेज की छात्राओं, एमिलिया बरुआ, अन्वेषा घोष, संपूर्णा घोष ,मोहोना मुख़र्जी, रूपकथा बोस तथा श्रीतमा बोस द्वारा प्रस्तुत किया किया गयाl इसके बाद महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. तानिया चक्रवर्ती ने सचिव पी. के. शर्मा, हिंदी विभाग की प्राध्यापिकाओं, भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर एकल व्याख्यान हेतु आमंत्रित विशेषज्ञ वक्ता प्रो. हितेंद्र पटेल (अध्यक्ष, पर्यावरण अध्ययन विभाग, रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय, कोलकाता ) के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का विधिवत उद्घाटन किया।
इस मौके पर महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा मंचासीन अतिथियों का सम्मान किया गया। स्वागत वक्तव्य में प्राचार्या डॉ. तानिया चक्रवर्ती ने सीताराम जी सेकसरिया के योगदान का स्मरण करते हुए स्मृति व्याख्यानमाला के उद्देश्य एवं उसकी शैक्षणिक प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के अगले चरण में डॉ. रचना पाण्डेय ने सीताराम जी सेकसरिया के जीवन, आदर्शों और मूल्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उनके वक्तव्य से उपस्थित श्रोताओं को यह समझने का अवसर मिला कि किस प्रकार सेकसरिया जी की विरासत आज भी इस शिक्षण संस्था की चेतना और कार्य-दिशा का आधार बनी हुई है। इसके पश्चात हिंदी विभाग की अध्यक्ष, श्रीमती अल्पना नायक द्वारा मुख्य वक्ता प्रोफेसर हितेंद्र पटेल का औपचारिक परिचय प्रस्तुत किया गया।
अपने विस्तृत एवं विचारोत्तेजक व्याख्यान में प्रोफेसर हितेंद्र पटेल ने भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर गहन और संतुलित विमर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने व्याख्यान में प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा में ज्ञान की सर्वप्रमुखता को रेखांकित करते हुए साहित्य और इतिहास के संदर्भों के माध्यम से विशेष रूप से प्रोफेसर कपिल कपूर के लेखन एवं उनके द्वारा संपादित ग्रंथों को केंद्र में रखा। साथ ही, राजीव मल्होत्रा की पुस्तकों के माध्यम से इन विमर्शों को समकालीन संदर्भों से जोड़ते हुए भारतीय बौद्धिक परंपरा की व्यापकता को रेखांकित किया। व्याख्यान में इस बात पर विशेष बल दिया गया कि भारतीय ज्ञान परंपरा पर संवाद इस प्रकार होना चाहिए, जिससे प्राचीन और आधुनिक ज्ञान के बीच लोक-प्रयोजन की दृष्टि से उपयोगी तत्त्वों की पहचान की जा सके। वक्ता ने व्याख्यान के बाद सहमति – असहमति परक टिप्पणियों को बौद्धिक संवाद का स्वाभाविक हिस्सा मानते हुए स्वस्थ विमर्श की आवश्यकता पर बल दियाl
कार्यक्रम के अंत में विभाग की वरिष्ठ प्राध्यापिका, सिंधु मेहता ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए समारोह के समापन की घोषणा की। कार्यक्रम का संचालन कॉलेज की छात्राओं, जयोस्मिता चक्रवर्ती एवं मानसी छेत्री ने कुशलतापूर्वक किया। श्री शिक्षायतन कॉलेज के हिन्दी विभाग की अध्यक्ष अल्पना नायक ने यह जानकारी दी।