🔔 ताज़ा ख़बरें सबसे पहले!

Samachar EiSamay की ब्रेकिंग न्यूज़, राजनीति, खेल, मनोरंजन और बिज़नेस अपडेट अब सीधे आपके पास।

जादवपुर विश्वविद्यालय में 7 नए पुरस्कारों की शुरुआत, राज्यपाल ने किया ऐलान

मेधावी छात्रों के लिए नई पहल, जादवपुर में 25 हजार रुपये के पुरस्कार।

By प्रचेता पांजा, Posted by: श्वेता सिंह

Dec 24, 2025 18:55 IST

कोलकाताः पिछले दो वर्षों से समावर्तन समारोह में अनुपस्थित रहने के बाद, इस वर्ष जादवपुर विश्वविद्यालय के 68वें समावर्तन समारोह में राज्यपाल एवं आचार्य सी. वी. आनंद बोस शामिल हुए। उन्होंने जादवपुर के विकास की बात अपने संबोधन में कही। इतना ही नहीं, उन्होंने विश्वविद्यालय की प्रगति का श्रेय शिक्षकों को दिया।

समावर्तन समारोह के मंच से ही राजभवन (वर्तमान में लोकभवन) की ओर से 7 विशेष पुरस्कारों की घोषणा की गई। इनमें स्नातक स्तर के विद्यार्थियों के लिए दो पुरस्कार, स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों के लिए दो पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ शिक्षक, सर्वश्रेष्ठ अशिक्षक कर्मचारी तथा प्रशासनिक पद पर उत्कृष्ट योगदान के लिए एक पुरस्कार शामिल हैं। प्रत्येक पुरस्कार की राशि 25 हजार रुपये होगी। चयन आचार्य द्वारा गठित जूरी सदस्यों द्वारा किया जाएगा।

अपने भाषण में राज्यपाल ने कहा कि आने वाले दिनों में जादवपुर विश्वविद्यालय देश के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में स्थान प्राप्त करेगा। आचार्य की इस पहल का उपकुलपति चिरंजीव भट्टाचार्य ने स्वागत किया है।

कौन-कौन से पुरस्कार?

सर्वश्रेष्ठ छात्र – UG

सर्वश्रेष्ठ छात्रा – UG

सर्वश्रेष्ठ छात्र – PG

सर्वश्रेष्ठ छात्रा – PG

सर्वश्रेष्ठ शिक्षक

सर्वश्रेष्ठ अशिक्षक कर्मचारी

सर्वश्रेष्ठ प्रशासक

परिसर में छात्र-प्रदर्शन

हालांकि, परिसर में प्रवेश करते ही राज्यपाल को विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। छात्रसंघ चुनाव सहित कई मांगों को लेकर SFI ने प्रदर्शन किया। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद राज्यपाल ने प्रदर्शनकारियों के दो प्रतिनिधियों से बातचीत की और उनका ज्ञापन स्वीकार किया। आचार्य सी. वी. आनंद बोस ने कहा कि लोकतांत्रिक दायरे में विरोध प्रदर्शन करना सभी का अधिकार है। लोकभवन के दरवाजे हमेशा छात्रों के लिए खुले हैं और वे संवाद के लिए सदैव तैयार हैं।

लंबे समय बाद जादवपुर विश्वविद्यालय को स्थायी उपकुलपति मिला है। इसके बावजूद समावर्तन से पहले राज्यपाल की उपस्थिति को लेकर असमंजस बना रहा। अंततः दो वर्षों के अंतराल के बाद आचार्य ने जादवपुर के समावर्तन में भाग लिया। वहीं, कार्यक्रम में राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय गीत के साथ राज्य गीत न गाए जाने को लेकर शुरुआत में विवाद हुआ, हालांकि बाद में गाया गया।

Prev Article
भारतीय छात्रों के लिए नए वैश्विक रास्ते खोल रहीं अमेरिकी यूनिवर्सिटियां

Articles you may like: