बेंगलुरु: ठंड से कांप रहे हैं। शॉल भी अच्छे से लपेट नहीं पा रहे। इस बीच हाथ और माथे से खून रिस रहा है। दर्द में आंखें और चेहरा सिकुड़ रहे हैं। दिल्ली-चेन्नई राष्ट्रीय सड़क के किनारे एंबुलेंस का इंतजार कर रहे हैं वरुण कुमार और हेमराज। आंखों और चेहरे पर आतंक। सामने एक बस जल रही है। कुछ समय पहले तक वे उसी बस में थे। बस बेंगलुरु से शिवमोग्गा की ओर जा रही थी। हीरियूर ग्रामीण पुलिस क्षेत्र में गोरलाथु क्रॉसिंग पर ट्रक चालक नियंत्रण खो बैठा और राष्ट्रीय सड़क के डिवाइडर को पार करके विपरीत लेन में घुस गया। इसके बाद उसने बस को जोर से टक्कर मार दी। यात्री सभी सो रहे थे। ट्रक की टक्कर से जोरदार विस्फोट हुआ। कुछ ही क्षणों में पूरी बस आग में घिर गई। घटनास्थल पर ही 17 लोगों की झुलसकर मौत हो गई। 15 गंभीर रूप से घायल हो गए। बस का दरवाजा नहीं खुल रहा था। आखिर में कुछ यात्री अपनी जान पर खेलकर खिड़की से निकल पाए।
हेमराज अपनी पत्नी और आठ साल के बेटे के साथ गोकर्ण जा रहे थे। हादसे का आतंक अभी भी उनके आंखों और चेहरे पर साफ झलकता है। अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने एक राष्ट्रीय समाचार एजेंसी से कहा कि हम सो रहे थे, अचानक महसूस हुआ कि सिर पर कुछ भारी गिरा। आंखें खोलते ही देखा, चारों तरफ धुआं भरा हुआ था। तभी मुझे समझ में आया कि आग लग गई है। सबसे पहले उनके बेटे की चिंता हुई। उन्होंने कहा कि बेटे को किसी तरह धक्का देकर खिड़की से बाहर निकाला, फिर पत्नी को और आखिर में मैं कूद पड़ा।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि जो लोग खिड़की से बाहर निकलने में कामयाब हुए, वे किसी तरह बच निकले। बाकी लोगों का बस के अंदर ही जलकर मौत हो गई। आरोप है कि तब तक एम्बुलेंस घटना स्थल पर नहीं पहुंची थी। घायल लोग, खून से लथपथ, राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे लंबे समय तक बैठने को मजबूर थे। बस में ही सूचना प्रौद्योगिकी कर्मचारी वरुण कुमार थे। उन्होंने कहा कि हम सब ठंड से कांप रहे थे और दर्द से कराह रहे थे। बचे हुए यात्रियों का दावा है कि आपातकालीन नंबर पर बार-बार कॉल करने के बाद भी पहली एम्बुलेंस करीब डेढ़ घंटे बाद आई। एक यात्री ने कहा कि कई लोग चिल्लाकर रो रहे थे। किसी का हाथ टूट गया था, किसी का शरीर जल गया था। किसी तरह दांतों में उंगली दबाकर इंतजार कर रहे थे।