करदाताओं को राहत की उम्मीद: सीबीडीटी प्रमुख बोले-‘दिसंबर के मध्य तक मिलेंगे रिफंड’

छोटे रिफंड जल्दी, बड़े रिफंड में तकनीकी और वैरिफिकेशन जांच, पोर्टल पर स्टेटस और वर्कलिस्ट टैब नियमित जांचें।

By सुदीप्त बनर्जी, Posted by: श्वेता सिंह

Nov 27, 2025 19:00 IST

समाचार एई समय। 2024-25 वित्त वर्ष के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने के बाद भी अब तक कई करदाता अपना प्राप्त होने वाला रिफंड हाथों में नहीं पा सके हैं। इसे लेकर उनके बीच लगातार चिंता और भ्रम बढ़ता जा रहा है। आयकर पोर्टल में नियमित रूप से लॉगिन करके स्टेटस देखने पर भी कई लोग रिफंड रुके होने का स्पष्ट कारण समझ नहीं पा रहे हैं।

सीबीडीटी चेयरमैन ने दी राह- ‘असामान्य रिटर्न की जांच चल रही’

इस स्थिति में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने करदाताओं को कुछ राहत दी है। उन्होंने कहा,"इस साल दाखिल कई रिटर्न में प्रस्तुत की गई जानकारियों पर सवाल उठे हैं। इन ‘असामान्य’ या ‘अनयूज़ुअल’ रिटर्न की जांच विभाग कर रहा है। इसी वजह से थोड़ा समय लग रहा है।" हालांकि, उनका दावा है कि इस वर्ष पिछले साल की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत अधिक अपीलों का निपटारा किया गया है।

विशेषज्ञों की राय- बड़े रिफंड में देरी सामान्य

कर विशेषज्ञों के अनुसार, छोटे राशि वाले रिफंड कई मामलों में जल्दी स्वीकृत हो जाते हैं, लेकिन बड़ी राशि वाले रिफंड में देरी होना स्वाभाविक है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं-गणनागत त्रुटि, गलत रिफंड दावा, समयसीमा के बाद छूट/कटौती का दावा,बैंक खाता वेरीफिकेशन न होना, पिछले वित्त वर्ष के बकाए के साथ समायोजन।

दाखिल आयकर रिटर्न की जांच प्रक्रिया अब मुख्य रूप से स्वचालित प्रणाली से होती है, इसलिए सिस्टम में छोटी सी असंगति मिलते ही वह रिटर्न अलग कर जांच के लिए रोक दिया जाता है।

दिसंबर तक मिल सकता है रिफंड: सीबीडीटी

अच्छी बात यह है कि इस रिफंड को लेकर अनिश्चितता ज्यादा दिन नहीं चलेगी, ऐसा संकेत सीबीडीटी चेयरमैन ने दिया है। उनके अनुसार, अधिकांश बकाया रिफंड इसी महीने के अंत तक या दिसंबर के मध्य तक जारी करने का लक्ष्य रखा गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि बड़ी राशि वाले रिफंड में स्वचालित प्रणाली द्वारा अतिरिक्त जांच चलती है, जिससे समय अधिक लगता है। साथ ही, कर विभाग की अपनी प्रोसेसिंग व बजट प्रक्रिया के अनुसार रिफंड चरणबद्ध तरीके से जारी होता है, जिससे छोटे और बड़े रिफंड के बीच समय का अंतर दिखता है।

करदाताओं के लिए सलाह-पोर्टल पर स्टेटस नियमित देखें

विशेषज्ञों ने करदाताओं को सलाह दी है कि आयकर पोर्टल पर जाकर नियमित रूप से रिटर्न की स्थिति जांचें। कई बार आवश्यक दस्तावेज जमा न होना, बैंक वेरीफिकेशन पूरा न होना, या पिछले वर्ष के बकाए से रिफंड जोड़ दिया जाना-इन कारणों से राशि रुक सकती है।

कई करदाताओं के ‘वर्कलिस्ट’ टैब में कन्फर्मेशन या वेरीफिकेशन का अनुरोध आता है, जिसमें रिफंड की वैधता जांचने को कहा जाता है और गलती होने पर संशोधित रिटर्न दाखिल करने का अवसर भी मिलता है।

इसके अलावा, समस्या जटिल होने पर पोर्टल के माध्यम से सीधे शिकायत दर्ज करने या सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) के हेल्पडेस्क से संपर्क करने का विकल्प भी खुला है।

आयकर कानून के अनुसार रिफंड पर मिलता है ब्याज

ध्यान देने योग्य बात है कि रिफंड में देरी होने पर भी करदाता कानूनी रूप से ब्याज पाने के अधिकारी हैं। आयकर अधिनियम की धारा 244A में कहा गया है कि रिफंड पर प्रति माह 0.5 प्रतिशत यानी सालाना 6 प्रतिशत ब्याज देना होता है। यदि रिफंड टीडीएस, टीसीएस या एडवांस टैक्स से प्राप्त होता है और रिटर्न निर्धारित समय में दाखिल किया गया हो तो असेसमेंट वर्ष की 1 अप्रैल से लेकर रिफंड करदाता के खाते में आने तक ब्याज की गणना होती है।

हालांकि, यदि रिफंड की राशि कुल कर के 10 प्रतिशत से कम है तो ब्याज लागू नहीं होता। जो करदाता निर्धारित समय के बाद देर से रिटर्न दाखिल करते हैं उनके मामले में रिटर्न दाखिल करने के दिन से ब्याज की गणना शुरू होती है। स्व-मूल्यांकन कर (सेल्फ-असेस्ड टैक्स) के तहत, कर भुगतान या रिटर्न दाखिल-जो भी बाद में हो, उसी दिन से ब्याज लागू होता है।

सब मिलाकर विशेषज्ञों का दावा है कि अस्थायी देरी होने पर भी रिफंड और उसका ब्याज-दोनों अंततः करदाताओं को मिलेंगे।

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