पेरिसः फ्रांस में रहने वाले तिब्बती लोग पेरिस के गुईमेट संग्रहालय के बाहर लगातार 46 हफ़्तों से प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि चीन के दबाव में आकर संग्रहालय ने तिब्बत की पहचान मिटाने की कोशिश की है। संग्रहालय ने अपनी पुरानी 'नेपाल-तिब्बत' प्रदर्शनी का नाम बदलकर 'हिमालयी संसार' कर दिया और सभी वस्तुओं से 'तिब्बत' शब्द हटा दिया। तिब्बती संगठनों का कहना है कि यह तिब्बत की राजनीतिक और सांस्कृतिक पहचान को छिपाने की कोशिश है।
तिब्बत से जुड़े कई संगठनों ने मार्च 2025 में संग्रहालय और फ्रांस की सरकार को कानूनी नोटिस भेजकर मांग की कि 'तिब्बत' शब्द फिर से लगाया जाए। जुलाई 2025 में चार तिब्बती संगठनों ने मिलकर संग्रहालय के खिलाफ मुकदमा भी दायर किया। संग्रहालय की निदेशक अपना फैसला बदलने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि नाम बदलना एक तटस्थ कलात्मक तरीका है। जबकि पेरिस के दूसरे संग्रहालय ने पहले ऐसी ही गलती मानकर 'तिब्बत' शब्द वापस जोड़ दिया था।
अब यह मामला अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बन गया है। संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक अधिकार विशेषज्ञ ने भी कहा है कि 'तिब्बत' शब्द हटाना तिब्बतियों की पहचान के अधिकार को चोट पहुँचाता है। कई बड़े तिब्बत विशेषज्ञों ने भी इस बदलाव की आलोचना की है। उनका कहना है कि 'हिमालयी' शब्द कई अलग संस्कृतियों को एक जैसा बताने की कोशिश है, जो ठीक नहीं है। तिब्बती कार्यकर्ताओं ने कहा है कि उनका विरोध तब तक जारी रहेगा, जब तक संग्रहालय 'तिब्बत' शब्द फिर से नहीं लिख देता।