नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मतदाता सूची की स्पेशल विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं की सुनवाई 2 दिसंबर तक के लिए टाल दी है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एमडीएमके के संस्थापक वाइको की याचिका पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा था। वाइको ने तमिलनाडु में मतदाता सूची की इस एसआईआर को चुनौती दी है।
तमिलनाडु की सत्ताधारी डीएमके और अभिनेता से नेता बने विजय की पार्टी टीवीके समेत कई अन्य दलों ने भी एसआईआर प्रक्रिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। डीएमके की याचिका का पूर्व सीजेआई बीआर गवई की अध्यक्षता वाले पीठ के सामने उल्लेख किया गया और अदालत ने कहा कि वह जल्द ही इस मामले की सुनवाई तय करेगी।
डीेएमके नेता आरएस भारती ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर एसआईआर की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है और 27 अक्टूबर को जारी चुनाव आयोग की उस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है, जिसमें 24 जून के दिशा-निर्देशों के आधार पर तमिलनाडु में एसआईआर लागू किया गया था। याचिकाओं में कहा गया है कि अगर एसआईआर और चुनाव आयोग के आदेशों को रद्द नहीं किया गया तो बिना उचित प्रक्रिया के लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से हट सकते हैं, जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव तथा लोकतंत्र को नुकसान पहुंचेगा, जो कि संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है।
कई वकीलों के माध्यम से दायर टीवीके की याचिका ने भी इस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि एसआईआर संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 325 और 326 का उल्लंघन करता है और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के प्रावधानों के भी खिलाफ है। इसके अनुसार एसआईआर बिना किसी ठोस कारण के पूरी मतदाता सूची को फिर से बनाने जैसा कदम है, जो कानून के विरुद्ध है।
याचिका में यह भी आरोप है कि एसआईआर की प्रक्रिया मतदाताओं के नाम बिना किसी सूचना या सुनवाई के हटाने की अनुमति देती है, जो सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों और 1960 के नियमों का उल्लंघन है। इस समय देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर चल रहा है और अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 को जारी की जाएगी। इन राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में अंडमान-निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्यप्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। चुनाव आयोग के अनुसार 28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक मुद्रण और प्रशिक्षण का काम हुआ, इसके बाद 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक घर-घर गणना का चरण चलेगा। 9 दिसंबर को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होगी, 9 दिसंबर से 8 जनवरी 2026 तक दावे और आपत्तियाँ ली जाएँगी। सुनवाई और सत्यापन 9 दिसंबर से 31 जनवरी 2026 तक चलेगा। अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित होगी। विपक्ष ने एसआईआर प्रक्रिया का कड़ा विरोध किया है और आरोप लगाया है कि यह गरीब और वंचित समुदायों के मतदाताओं के नाम सूची से हटाने की कोशिश है।