नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हैदराबाद में भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप स्काईरूट का नया इन्फिनिटी कैंपस उद्घाटित किया। उन्होंने कंपनी का पहला कक्षीय रॉकेट विक्रम-I भी पेश किया, जो उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने में सक्षम है। इन्फिनिटी कैंपस में लगभग 2,00,000 वर्ग फीट का अत्याधुनिक कार्यक्षेत्र है। यहाँ वैज्ञानिक और इंजीनियर रॉकेट डिजाइन, विकास, एकीकरण और परीक्षण कर सकेंगे। स्काइरूट के इस नये इन्फिनिटी कैंपस में अत्याधुनिक रॉकेट बनाने की सुविधा है। इस कैंपस में हर महीने एक नया कक्षीय रॉकेट बनाने की क्षमता है।
प्रधानमंत्री ने क्या कहा?: मोदी ने कहा कि यह भारत को वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह भारत को अंतरिक्ष में नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने में मदद कर रहे हैं और युवाओं के लिए उच्च तकनीक की दुनिया में अवसर पैदा कर रहे हैं। भारत बड़े सपने देख रहा है, बड़े कदम उठा रहा है और बेहतरीन परिणाम दे रहा है। उन्होंने निवेशकों से आग्रह किया कि वे भारत के विकास यात्रा में सह-निर्माता बनें। भारत का विमानन क्षेत्र अब दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते घरेलू बाजारों में शामिल है और हमारा घरेलू बाजार वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा बन गया है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले भारत का 85% MRO कार्य विदेशी भूमि पर होता था, जिससे लागत अधिक होती थी और विमानों की ग्राउंडिंग लंबी रहती थी। अब सरकार इस स्थिति को बदल रही है। देश की उड़ान केवल विमानन तक सीमित नहीं है। अंतरिक्ष की दुनिया में भी भारत तेजी से अपनी जगह बना रहा है।
स्काईरूट के बारे मेंः स्काईरूट भारत की प्रमुख निजी अंतरिक्ष कंपनी है। इसे दो भारतीय इंजीनियर और पूर्व इसरो वैज्ञानिक पवन चंदना और भरत ढाका ने शुरू किया। दोनों IIT के पूर्व छात्र हैं और विज्ञान में अपनी पकड़ रखने के साथ उद्यमिता में भी सफल रहे। नवंबर 2022 में स्काईरूट ने अपना उप-कक्षीय रॉकेट विक्रम-S लॉन्च किया। इस सफलता के साथ यह पहली भारतीय निजी कंपनी बनी जिसने रॉकेट को अंतरिक्ष में भेजा।
सफ्रान का MRO सेंटरः मालूम हो कि इसी सप्ताह प्रधानमंत्री मोदी ने हैदराबाद में सफ्रान एयरक्राफ्ट इंजन सर्विसेज की नई मेन्टेनेंस, रिपेयर और ओवरहाल (MRO) सुविधा का वर्चुअली उद्घाटन किया। यह सुविधा GMR एयरोस्पेस और इंडस्ट्रियल पार्क में स्थापित की गई है और यह भारत का सबसे बड़ा इंजन MRO सेंटर होगा। इस सेंटर के खुलने से विमान और उनके इंजनों की मरम्मत का काम अब भारत में ही संभव होगा। इससे विदेशी निर्भरता कम होगी और विमान संचालन की लागत भी घटेगी।