मंगलवार को केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने दावा किया कि चालू वित्त वर्ष में ही भारतीय अर्थव्यवस्था 4 ट्रिलायन अमेरिकी डॉलर यानी 4 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का स्तर पार कर जाएगी। वर्तमान में 3.9 लाख करोड़ डाॅलर के साथ भारत क्रमवार सूची में दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक वृद्धि दर सिर्फ संख्याओं में बढ़ोतरी नहीं है; इसके साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था की अस्थिरता के बीच देश की सामरिक शक्ति को बनाए रखने की एक बड़ी चुनौती भी जुड़ी हुई है।
आईवीसीए ग्रीन रिटर्न्स समिट 2025 में भाषण देते हुए नागेश्वरन ने बताया कि मार्च 2025 में भारत का जीडीपी 3.9 लाख करोड़ डाॅलर था। ऐसे में, चालू वित्त वर्ष में यह 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की सीमा पार करने की दिशा में बढ़ रहा है, ऐसा कहा जा सकता है। उनके अनुसार, “दुनिया की भू-राजनीतिक परिस्थिति धीरे-धीरे बदल रही है। ऐसे समय में देश की मजबूत स्थिति और प्रभाव बनाए रखने के लिए सशक्त आर्थिक वृद्धि बेहद ज़रूरी है।”
उन्होंने आगे कहा, “अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना, ऊर्जा परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटना—इन सभी क्षेत्रों में उठाए जाने वाले कदमों को भारत की अल्पकालिक और मध्यम अवधि की प्राथमिकताओं के अनुरूप होना चाहिए। क्योंकि विकास की गति बनाए रखते हुए समानांतर रूप से जलवायु ज़िम्मेदारियों को भी संभालना होगा।''
मुख्य आर्थिक सलाहकार का कहना है कि भारत को बहुत पहले से यह समझ है कि जलवायु परिवर्तन कृषि, तटीय क्षेत्रों, पर्यावरण और समग्र जैवविविधता पर कितना गहरा प्रभाव डाल सकता है। इसी कारण देश ने 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन या शून्य प्रदूषण उत्सर्जन हासिल करने का संकल्प लिया है।
उनके अनुसार, टिकाऊ विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए जलवायु संबंधी जोखिमों का सामना करने हेतु अग्रिम तैयारी और नीति निर्माण अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारतीय अर्थव्यवस्था तेज़ी से नए शिखरों की ओर बढ़ रही है—यह बात उनके বক্তব্য से स्पष्ट है। साथ ही भारत समग्र रूप से पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की प्रतिबद्धता भी निभा रहा है—यह बात भी नागेश्वरन ने स्पष्ट किया।
आर्थिक विकास और जलवायु ज़िम्मेदारी—इन दोनों के संयुक्त सफर से भारत का भविष्य और अधिक मजबूत स्थिति में पहुंचेगा—ऐसा संकेत उन्होंने दिया।