नई दिल्लीः विद्युत मंत्रालय में संयुक्त सचिव शशांक मिश्रा ने कहा कि भारत वितरण नेटवर्क में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को व्यापक रूप से अपनाकर उपभोक्ताओं के बिजली बिल कम करने और ऊर्जा के बेहतर उपयोग का लक्ष्य रखता है। राष्ट्रीय राजधानी में पावर डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर में एआई/एमएल के उपयोग पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान एएनआई से बात करते हुए मिश्रा ने कहा कि सरकार, वितरण कंपनियों को चोरी-प्रवण क्षेत्रों का अधिक सटीक पता लगाने और तेजी से प्रतिक्रिया देने में मदद के लिए एआई टूल्स को बढ़ावा दे रही है।
उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य उपभोक्ताओं का बिल कम करना और ऊर्जा का बेहतर उपयोग करना है। विशेष रूप से घर के अंदर की दैनिक खपत और करंट लीकेज का उन्होंने उल्लेख किया। मिश्रा ने कहा कि एआई-आधारित एनालिटिक्स से डिस्कॉम को असामान्य खपत पैटर्न की पहचान करने, फील्ड निरीक्षणों को लक्षित करने और तकनीकी तथा वाणिज्यिक हानियों को कम करने में मदद मिलेगी। यह अभी भी उपयोगिताओं और उपभोक्ताओं दोनों के लिए बड़ी लागत का बोझ हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रालय बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम), जिनमें जीपीटी-आधारित सिस्टम भी शामिल हैं, के उपयोग की संभावनाएं देख रहा है, ताकि निर्णय-निर्माण में सहायता मिले, कार्यप्रवाह स्वचालित हों और वितरण क्षेत्र में रीयल-टाइम मॉनिटरिंग मजबूत हो सके। इन तकनीकों से हमें तेजी से कार्रवाई करने और समग्र दक्षता में सुधार करने में मदद मिलेगी।
कार्यक्रम में कल ऊर्जा विशेषज्ञों ने कहा कि भारत डेटा सेंटरों के तेजी से विस्तार के कारण बढ़ती ऊर्जा मांग के बीच अपनी पहले से उपलब्ध अधिशेष बिजली क्षमता का लाभ उठाकर अनोखे तरीके से आगे बढ़ सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार देश में बिजली को एक व्यापार योग्य वस्तु के रूप में देखने और बढ़ती घरेलू व अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने की अपनी क्षमता प्रदर्शित करके वैश्विक नेतृत्व हासिल करने की संभावनाएँं हैं। इस वर्ष अक्टूबर में सरकार ने बिजली (संशोधन) विधेयक 2025 का मसौदा जारी किया था, जिसका उद्देश्य बिजली लागत को तार्किक बनाकर और छिपी हुई क्रॉस-सब्सिडी कम करके भारतीय उद्योग और लॉजिस्टिक्स को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है।