रेपो रेट में कटौती का देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा? क्या है रिजर्व बैंक का पूर्वानुमान?

RBI गवर्नर ने बताया आर्थिक विकास का रुख क्या होगा और ग्रोथ रेट क्या हो सकती है।

By अंशुमान गोस्वामी, Posted by: श्वेता सिंह

Dec 05, 2025 15:18 IST

नयी दिल्ली। मॉनिटरी कमिटी पॉलिसी की बैठक के बाद रिज़र्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने रेपो रेट कम करने की घोषणा के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था से संबंधित कई मुद्दों पर पत्रकार सम्मेलन किया। आने वाले दिनों में देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि किस दिशा में आगे बढ़ सकती है, वृद्धि दर क्या हो सकती है, इस बारे में भी उन्होंने जानकारी दी।

देश की जीडीपी ग्रोथ को लेकर भी अपने अनुमान की जानकारी रिज़र्व बैंक ने दी है। आरबीआई के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत हो सकती है। इससे पहले आरबीआई ने बताया था कि वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत हो सकती है। देश की जीडीपी वृद्धि दर को लेकर रिज़र्व बैंक आशावादी है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर से दिसंबर के बीच जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत हो सकती है। चौथी तिमाही, यानी अगले साल जनवरी से मार्च के बीच देश की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत हो सकती है। अगले वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों में यह वृद्धि दर क्रमशः 6.7 प्रतिशत और 6.8 प्रतिशत हो सकती है।

इस बारे में आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने लिखा है,‘अच्छे कृषि कार्य, जीएसटी दरों में बदलाव, नियंत्रित मूल्यवृद्धि, कॉर्पोरेट कंपनियों की मज़बूत बैलेंस शीट जैसे कई घरेलू कारक आर्थिक गतिविधियों पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगे। जो वृद्धि के मार्ग में सहायक होंगे।’

आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ आने वाले दिनों में मूल्यवृद्धि भी नियंत्रण में रहेगी, ऐसा मानना है रिज़र्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी का। इसके लिए सीपीआई इनफ्लेशन से संबंधित पूर्वानुमान में भी आरबीआई ने बदलाव किया है। चालू वित्त वर्ष में रिज़र्व बैंक सीपीआई इनफ्लेशन 2 प्रतिशत में सीमित रहने की उम्मीद रख रहा है। पहले यह अनुमान 2.6 प्रतिशत था।

चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सीपीआई इनफ्लेशन 1.8 प्रतिशत तक गिर सकता है, ऐसा अनुमान है। चौथी तिमाही में यह 2.9 प्रतिशत रह सकता है। पहले चौथी तिमाही में आरबीआई ने मूल्यवृद्धि दर 4 प्रतिशत रहने की आशंका जताई थी। इस बारे में आरबीआई गवर्नर ने कहा है,‘मूल्यवृद्धि की स्थिति और आसान हुई है। इसलिए पहले के अनुमान से भी यह कम हो सकती है। खाद्य पदार्थ सहित कई वस्तुओं के दाम कम रहने के कारण ही यह राहत है।’

दिसंबर में मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के बाद रेपो रेट 25 बेसिस पॉइंट कम किया गया है। इसके चलते नया रेपो रेट 5.25 प्रतिशत हो गया है। इस साल की शुरुआत में रेपो रेट 6.50 प्रतिशत था। चार चरणों में इसे 125 बेसिस पॉइंट या 1.25 प्रतिशत कम किया गया है।

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