RBI ने घटाया रेपो रेट, घरेलू और ऑटो लोन होंगे सस्ते, अर्थ व्यवस्था को मिलेगी मजबूती

एक लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी इंजेक्शन, चौथी बार की दर कटौती से "गोल्डीलॉक्स" अर्थव्यवस्था को मिलेगी बढ़त।

By श्वेता सिंह

Dec 05, 2025 17:17 IST

मुंबई। Reserve Bank of India (RBI) ने शुक्रवार को रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर इसे 5.25 प्रतिशत कर दिया, साथ ही बैंकिंग सेक्टर में 1 लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी बढ़ाने की योजना की घोषणा की। यह कदम ऐसे समय में आया है जब भारतीय अर्थव्यवस्था अमेरिकी टैरिफ के दबाव और निर्यात में गिरावट का सामना कर रही है।

रेपो रेट कटौती का सीधा प्रभाव लोन लेने वालों पर होगा। एमसीएलआर और बेस रेट कम होने से होम लोन, ऑटो लोन और व्यापारिक लोन सस्ते होंगे। इससे उपभोक्ता खर्च और निवेश बढ़ सकता है, जो आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।RBI का GDP वृद्धि अनुमान 7.3% तक बढ़ना और मुद्रास्फीति का 2% पर कम होना दर्शाता है कि केंद्रीय बैंक अब विकास-उन्मुख और जोखिम नियंत्रित नीति पर भरोसा कर रहा है। इसे ही गवर्नर संजय मल्होत्रा ने "गोल्डीलॉक्स" अर्थव्यवस्था का नाम दिया।

नीति का रणनीतिक महत्व

एक लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी (50,000 करोड़ रुपये के दो ट्रांसेज में) और 5 अरब डॉलर के फॉरेक्स स्वैप से बैंकों को सस्ता फंडिंग मिलेगा, जिससे नीति के प्रभाव को तेज़ी से आर्थिक गतिविधियों तक पहुंचाया जा सकेगा। यह कटौती और लिक्विडिटी इंजेक्शन मौसमी लिक्विडिटी दबाव को कम करेंगे और बैंकिंग प्रणाली में स्थिरता बनाए रखेंगे।

भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ने रेपो रेट में बदलाव किया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करने के फैसले की घोषणा की है। RBI की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की मीटिंग बुधवार, 3 दिसंबर को शुरू हुई थी। उस मीटिंग के बाद, शुक्रवार, 5 दिसंबर को रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने रेपो रेट में कटौती की घोषणा की। इससे रेपो रेट 5.50 परसेंट से घटकर 5.25 परसेंट हो गया है।

विशेषज्ञों का नजरिया

Crisil के चीफ इकॉनॉमिस्ट धर्माकिर्ति जोशी ने कहा कि यह कदम विकास को सहारा देने वाला और मुद्रास्फीति नियंत्रित करने का निर्णय है।

RBL बैंक की चीफ इकॉनॉमिस्ट अनीथा रंजन ने बताया कि फॉरेक्स स्वैप से यह स्पष्ट होता है कि RBI मुद्रा दबाव को भी नजरअंदाज नहीं कर रहा।

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों का मानना है कि अब घरेलू लोन सस्ते होंगे, EMI घटेगी, उपभोक्ता और व्यवसाय निवेश बढ़ाएंगे। इसके साथ ही आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति में संतुलन बनेगा। इस कदम से RBI ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वह विकास और वित्तीय स्थिरता दोनों को प्राथमिकता दे रहा है और आने वाले महीनों में अर्थव्यवस्था को सहयोग देने के लिए सक्रिय रहेगा।

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