खांसी से बेदम हो रही बच्ची के गले में फंसा पिन, मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने बाहर निकालकर दी नई जिन्दगी

पूरे पिन को बाहर निकालने में लगभग 15 मिनट का वक्त लगा। बच्ची अब खतरे से बाहर बतायी जाती है।

By Moumita Bhattacharya

Dec 05, 2025 15:26 IST

घड़ी की सुईयां उस समय दोपहर 2 बजने का इशारा कर रही थी। हावड़ा के शिवपुर इलाके में रहने वाली 7 वर्षीया आफिया खुर्शिद खांसते हुए लगभग बेदम होने लगी थी। समय जैसे-जैसे आगे बढ़ता रहा खांसी का प्रकोप कम होने के बजाए बढ़ता ही जा रहा था। आखिरकार परिवार के लोगों ने शाम को 5 बजे के बाद उसे कलकत्ता मेडिकल कॉलेज लेकर आने का फैसला लिया।

आफिया खुर्शिद को ENT विभाग में ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसका एक्स-रे निकाला। मात्र वर्षीया बच्ची के गले के एक्स-रे रिपोर्ट में जो कुछ दिखाई दिया, उसे देखकर परिवार की सांसे ही फूल गयी।

क्या निकला एक्स-रे रिपोर्ट में?

आफिया की एक्स-रे रिपोर्ट में उसके गले में श्वास नली के पास धातु का पिन जैसी कोई चीज फंसी हुई दिखाई दे रही थी। श्वास नली में ऐसी किसी धारदार वस्तु के फंस जाने की वजह से दम घुटकर मौत तक हो सकती है। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए डॉक्टरों ने देर नहीं की और शाम को करीब 5 बजे उसे सीधा ऑपरेशन थिएटर (OT) में ले गए।

इसके साथ ही शुरु हुआ नन्हीं आफिया का जीवन बचाने के लिए डॉक्टरों का संघर्ष। बताया जाता है कि डॉक्टरों ने आफिया के गले से उस पिन को बाहर निकाल दिया है जो खेलते वक्त उसके गले में चला गया था। पूरे पिन को बाहर निकालने में लगभग 15 मिनट का वक्त लगा। बच्ची अब खतरे से बाहर बतायी जाती है।

फेंफड़े में गया और फिर बाहर निकला पिन

इस बारे में स्वास्थ्य भवन के एक अधिकारी का कहना है कि काफी लोगों को लगता है छुट्टी के दिनों में, शाम के बाद सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर नहीं रहते हैं। लेकिन यह सच बात नहीं है। सप्ताह के 7 दिन ही सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों के जीवन को बचाने की कोशिश डॉक्टर करते हैं। इस घटना ने उसी बात को साबित कर दिया है।

आफिया से बात करके डॉक्टरों को पता चला कि खेलते-खेलते उसने पिन को मुंह में डाल दिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि सांस लेते समय हवा के साथ ही पिन श्वास नली से होकर फेंफड़े तक पहुंच गया था। फिर जब सांस छोड़ा गया तो पिन फेंफड़े से बाहर निकल आया। बता दें, श्वास नली में बालों के गुच्छे जैसी बनावट रहती है जो धूल-कणों और जीवाणुओं को रोकने का काम करता है। श्वास नली में पिन के फंसे रहने की वजह से ही आफिया को लगातार खांसी हो रही थी।

मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार ENT विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर दीप्तांशु मुखर्जी के नेतृत्व में जूनियर रेसिडेंट शुभजीत मुखर्जी, सोमदत्ता घन्टी ने यह ऑपरेशन किया। इस बारे में दीप्तांशु मुखर्जी ने कहा कि ब्रॉन्कस्कॉपिक फॉरेन बॉडी रिमूवल पद्धति से पिन को बाहर निकाला गया है।

उन्होंने बताया कि यह लंबी पिन शायद बच्ची की जान ही ले लेता। अस्पताल की पूरी टीम ने बच्ची को बचाने की कोशिश की। ऑपरेशन के बाद फिलहाल बच्ची की हालत स्थिर बतायी जाती है। आफिया खुर्शिद के पिता खुर्दिश आलम ने कहा कि अस्पताल में जल्दी ले आने के फैसले की वजह से ही मेरी बेटी की जान बच सकी। डॉक्टरों को ढेर सारा धन्यवाद।

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