पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं। इसी बीच प्रदेश से बड़ी खबर आ रही है कि यहां चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही जदयू को बड़ा झटका लगा है। बताया जा रहा है कि जदयू के परबत्ता विधायक डॉ. संजीव सिंह आज राजद में शामिल होंगे।
परबत्ता में आयोजित एक कार्यक्रम में आज तेजस्वी यादव उन्हें सदस्यता दिलवाएंगे। डॉ. संजीव का राजद में जाना जदयू की बड़ी क्षति मानी जा रही है। दूसरी तरफ राजद को भूमिहार समुदाय में लाभ मिल सकता है।
जदयू को बड़ा झटका
बता दें कि संजीव सिंह के जदयू छोड़ राजद में शामिल होने का यह फैसला जदयू के लिए एक महत्वपूर्ण सीट पर बड़ा नुकसान माना जा रहा है। डॉ संजीव सिंह ने 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में राजद के दिगंबर प्रसाद तिवारी को 951 वोटों से हराया था। अब उन्होंने राजद में शामिल होने का फैसला लिया है। डॉ संजीप पर विधायकों की खरीद-फरोख्त की साजिश के मामले में ईओयू ने पूछताछ भी की थी। डॉ संजीव का आरोप है कि पार्टी के कुछ नेता उनके खिलाफ साजिश रच रहे हैं और उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
डॉ. संजीव कुमार सुर्खियों में क्यूं हैं?
बिहार की राजनीति में डॉ संजीव कुमार की अपने भूमिहार तबके में खूब चलती है। डॉ. संजीव कुमार राजनीति में नए चेहरे जरूर हैं लेकिन उनका परिवार लंबे समय से खगड़िया की राजनीति में प्रभावी रहा है। वे पूर्व मंत्री और पांच बार विधायक रहे डॉ. रामानंद प्रसाद सिंह (आरएन सिंह) के बेटे हैं। 2020 में पहली बार परबत्ता से विधायक चुने जाने के पीछे भी परिवार की मजबूत पकड़ और स्थानीय समर्थन अहम रहा। डॉ संजीव किसानों, भूमि विवाद और अधूरे प्रोजेक्ट्स को लेकर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाने में कभी पीछे नहीं रहते थे। आम जनता से जुड़े मुद्दों पर मुखर होने की वजह से उन्होंने काफी कम समय मे अच्छी लोकप्रियता हासिल कर ली है।
संजीव काफी समय से पार्टी से नाराज थे
संजीव सिंह लंबे अरसे से मुख्यमंत्री नीतिश कुमार और अपनी पार्टी जदयू से नाराज चल रहे थे। सूत्रों ने बताया कि टिकट के लिए ही संभवतः संजीव ने पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया है। हाल ही में उन्होंने पटना में ब्रह्मर्षि सम्मेलन का आयोजन किया था। इसमें उन्होंने अपनी जाति के लोगों को पार्टी से जोड़ने का प्रयास किया था। माना जा रहा है कि अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए वह लगातार अपनी पार्टी जेडीयू पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे।
राजद टिकट भी दे सकती है
बिहार के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए राजद कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसीलिए भूमिहारों को एकजूट करने के मकसद से ही डॉ संजीव सिंह जैसे नेताओं का अपनी पार्टी में स्वागत कर रही है। राजद उन्हें चुनाव में अपना प्रत्याशी भी बना सकती है। अनंत सिंह के पाला बदलने के बाद से राजद में भूमिहार नेताओं की कमी महसूस की जा रही थी। अब संजीव कुमार के राजद में आने से पार्टी के पास मजबूत भूमिहार नेता होगा जो भूमिहारों को राजद से जोड़ने में महती भूमिका निभा सकता है।
भूमिहार वोट बैंक में सेंध लगाने का प्लान
बताया जा रहा है कि राजद ने इस बार 10 से 12 भूमिहार नेताओं को मैदान में उतारने का प्लान बनाया है, ताकि भाजपा के इस मजबूत वोटबैंक में सेंध लगाई जा सके। अगर राजद का यह प्लान सफल रहता है तो भाजपा को सबसे बड़ा झटका लगने वाला है। एक समय था, जब बिहार में भूमिहारों की सेना रणवीर सेना और भाकपा माले आमने सामने होते थे। आए दिन नरसंहार की खबरें मिलती थीं। तब भूमिहारों के सबसे बड़े नेता बरमेश्वर मुखिया रणवीर सेना को संचालित करते थे। उस समय कभी भूमिहारों का नरसंहार होता था तो कभी दलितों और पिछड़ों का।
जीत के लिए भूमिहार नेताओं को तरजीह
चुनावों में पार्टी को जिताने में जाति की बहुत बड़ी भूमिका होती है। सभी दलों ने भूमिहारों को रिझाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। कांग्रेस में कन्हैया कुमार को तवज्जो इसलिए मिलती है। इसके अलावा जदयू में ललन सिंह और अनंत सिंह, भाजपा में गिरिराज सिंह, विजय कुमार सिन्हा, विवेक ठाकुर जैसे कई नेता हैं जिनकी अपनी समाज में अच्छी पैठ है।
ऐसा भी नहीं है कि डॉ. संजीव कुमार के राजद में शामिल होने से अचानक भूमिहारों की निष्ठा भाजपा के प्रति बदल जाएगी। इसकी वजह यह है कि लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में अगड़ी जाति में अगर सबसे अधिक किसी ने भुगता है तो वो हैं भूमिहार। यह देखना दिलचस्प होगा कि डॉ संजीव कितना करिश्मा दिखा पायेंगे।