बिहार चुनावः कांग्रेस ने दिग्गजों को सौंपी कमान, गहलोत, बघेल और अधीर रंजन चौधरी को बनाया वरिष्ठ पर्यवेक्षक

कांग्रेस ने कसी कमर, पार्टी ने सभी जिलों की निगरानी के लिए 41 अन्य नेताओं की भी नियुक्ति की है।

By Tuhin Das Mahapatra, Posted by: Shweta Singh

Oct 05, 2025 15:28 IST

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही कांग्रेस ने वरिष्ठ नेताओं अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और अधीर रंजन चौधरी को बिहार का मुख्य पर्यवेक्षक नियुक्त करके अपनी तैयारियाँ तेज कर दी हैं। शनिवार को नियुक्तियों की घोषणा करते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष (मल्लिकार्जुन खड़गे) ने तत्काल प्रभाव से बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और अधीर रंजन चौधरी को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।

बिहार के सभी जिलों का जिम्मा 41 नेताओं पर

वेणुगोपाल ने आगे बताया कि पार्टी ने जमीनी स्तर पर समन्वय को मज़बूत करने के लिए जिला-स्तरीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। कुल मिलाकर पूरे भारत से 41 नेताओं को बिहार के सभी जिलों में तैयारियों और प्रचार गतिविधियों की निगरानी के लिए जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।

इस साल के अंत में होने वाले बिहार चुनावों में सत्तारूढ़ एनडीए जिसमें भाजपा, जद(यू) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) शामिल हैं और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक जिसमें कांग्रेस और वामपंथी दल सहयोगी हैं के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है। एनडीए वर्तमान में 243 सदस्यीय विधानसभा में 131 सीटों के साथ बहुमत में है जबकि इंडिया ब्लॉक के पास 111 सीटें हैं।

एआईसीसी ने 19 जिला चुनाव पर्यवेक्षक नियुक्त किए

एआईसीसी ने 19 जिला चुनाव पर्यवेक्षकों के नामों की भी घोषणा की जिनमें अविनाश पांडे, भक्त चरण दास, अजय राय, अनिल चौधरी, बी.वी. श्रीनिवास, विक्रांत भूरिया, इरफ़ान अंसारी, रोहित चौधरी और अनिल चोपड़ा शामिल हैं।

पार्टी के पर्यवेक्षक नेटवर्क के बारे में बोलते हुए गहलोत ने कहा कि यह प्रक्रिया विभिन्न राज्यों में शुरू हो चुकी है और पारदर्शिता और एकता की आवश्यकता पर जोर दिया। आईएएनएस के अनुसार उन्होंने कहा कि ऐसा माहौल बनाना हमारा कर्तव्य है जहां पर्यवेक्षक बिना किसी प्रभाव या दबाव के स्वतंत्र रूप से काम कर सकें। यह प्रक्रिया जितनी पारदर्शी और निष्पक्ष होगी, परिणाम उतने ही बेहतर होंगे। यह अभियान केवल नेताओं को चुनने के बारे में नहीं है। यह पार्टी के भीतर फिर से विश्वास और एकता को संचारित के बारे में है।

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि इस अभियान के तहत पहली बार पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जिला अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया की निगरानी के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये पर्यवेक्षक प्रत्येक जिले और ब्लॉक का दौरा कर जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं, स्थानीय नेताओं और संगठन के सभी हितधारकों से फीडबैक एकत्र करेंगे। यह निचले स्तर का दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक पार्टी कार्यकर्ता की आवाज़ सुनी जाए, उसका सम्मान किया जाए और जिला-स्तरीय नेतृत्व के अंतिम चयन में उसकी बात प्रतिबिंबित हो।

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