पटनाः भोजपुरी अभिनेता व गायक पवन सिंह जल्द भाजपा में वापसी करेंगे। सूत्रों के अनुसार वे 5 अक्टूबर को भाजपा में शामिल हो सकते हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि वे आरा से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। पवन सिंह ने मंगलवार को दिल्ली में राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख और राज्यसभा सदस्य उपेंद्र कुशवाहा से शिष्टाचार मुलाकात की। इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता विनोद तावड़े और ऋतुराज सिन्हा भी उपस्थित थे।
इस मुलाकात से यह स्पष्ट हो गया है कि पवन सिंह को लेकर कुशवाहा की नाराजगी दूर हो गई है। कुशवाहा से मुलाकात के बाद पवन सिंह ने भाजपा नेता और गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की। उल्लेखनीय है कि पवन सिंह ने 2024 के लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट से निर्दलीय लड़कर भाजपा को नुकसान पहुंचाया था।
पवन सिंह ने शाह से मुलाकात करने से पहले विनोद तावड़े और ऋतुराज सिन्हा उपेंद्र कुशवाहा के घर पहुंचे और उनसे माफी मांगी। पवन सिंह ने 2024 में काराकाट सीट से चुनाव लड़कर जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों में ऐसा विभाजन किया था कि भाजपा को उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। उपेंद्र कुशवाहा ऐसा बुरी तरह हारे कि तीसरे स्थान पर चले गए थे। काराकाट सीट का समीकरण राजपूत बनाम यादव रहा है। पवन सिंह को राजपूत और उनके अपने भोजपुरी प्रशंसकों का समर्थन मिला था। हालांकि वे स्वयं भी नहीं जीते और महागठबंधन की वहां जीत हुई। भाजपा अपनी हार के लिए पवन सिंह को कारण मानती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भोजपुर, सासाराम, कैमूर, रोहतास, सीवान, बक्सर, आरा आदि भोजपुरी भाषी इलाकों में पवन सिंह का खास प्रभाव है और उनकी फ़िल्मों और गीतों की लोकप्रियता यहां है, जो राजनीतिक लाभ भी पहुंचाएगी। पवन सिंह का प्रशंसक वर्ग युवा है। भाजपा इसका चुनावी रणनीति में इस्तेमाल कर सकती है।
पवन सिंह भाजपा के प्रचार में उतर सकते हैं जिसका लाभ अन्य सीटों पर भी पार्टी को मिलेगा। रैलियों और रोड शो में वे भीड़ को आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं। इसलिए भाजपा में शामिल होना पार्टी के लिए एक सीट का मामला नहीं है। इसका प्रभाव बिहार पर पड़ेगा। एक गैरराजनीतिक चेहरे को जोड़ने का अतिरिक्त लाभ पार्टी को मिलेगा। पवन सिंह ने कुशवाहा से मुलाकात की और पैर छूकर आशीर्वाद लिया। कुशवाहा से माफी मांगने की घटना का प्रचार कर भाजपा यह संदेश देने की कोशिश में है कि अब पवन सिंह पार्टी लाइन पर चलेंगे ताकि लोग उनकी पिछली गतिविधि को भुला दें।
पवन सिंह का राजनीति में प्रवेश कोई नयी घटना नहीं है। भोजपुरी के कई कलाकार पहले ही राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका में हैं, जिनमें मनोज तिवारी, रवि किशन, दिनेश लाल यादव निरहुआ का नाम शामिल है।