नौकरी की तलाश में भटकते युवाओं झांसा दे बनाया जा रहा है साइबर गुलाम

By अंशुमान गोस्वामी, Posted by डॉ.अभिज्ञात

Sep 30, 2025 17:09 IST

पटनाः बिहार के गोपालगंज के निवासी शुभम कुमार, उम्र लगभग 28 वर्ष। बीटेक पास करने के बाद लंबे समय से नौकरी की तलाश कर रहे थे। अच्छे वेतन की नौकरी नहीं मिल रही थी। इसी दौरान उनके एक दोस्त के पिता ने एक लाख रुपये महीने के वेतन पर एक सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी का 'इंतजाम' कर दिया। लेकिन वह कंबोडिया में थी। महीने में एक लाख रुपये वेतन की नौकरी का इंतजाम करने के लिए प्रोसेसिंग फीस, एजेंट चार्ज आदि के नाम पर डेढ़ लाख रुपये लिए थे उस दोस्त के पिता ने।

आखिरकार 2023 के नवंबर में शुभम के जाने की बात लगभग पक्की हो गई। शुभम बिहार से कोलकाता होकर वियतनाम पहुंचे। वियतनाम के हो ची मिन्ह शहर पहुंचते ही ही अज्ञात एजेंट ने उन्हें कंबोडिया के सिहानौकविले शहर के एक स्थान पर ले गए। वहां उनका पासपोर्ट, साथ में रखे पैसे सब कुछ छीन लिये। कई दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया। उसके बाद कुछ दिनों की 'ट्रेनिंग' देकर उन्हें एक अवैध कॉल सेंटर में लगा दिया गया। जहां से देश-विदेश के लोगों को फोन या मेल करके साइबर धोखाधड़ी का कारोबार जोरों पर चल रहा था।

इधर बेटे का कोई अता-पता न मिलने पर शुभम के घरवालों ने बहुत मेहनत करके पुलिस, राज्य प्रशासन से लेकर विदेश मंत्रालय से संपर्क किया। वहां से पता चला कि झांसा देकर शुभम जैसे कई अन्य लोगों को 'साइबर गुलामी' में लगाया जा रहा है। शुभम अकेले नहीं हैं। आंकड़े बता रहे हैं कि 2022 के जनवरी से 2024 के मई तक कंबोडिया, थाईलैंड, म्यांमार और वियतनाम में भारत से पर्यटक वीजा लेकर गए कम से कम 29,466 लोगों का कोई पता नहीं है। केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को संदेह है कि इन सभी को विभिन्न बहानों से उन देशों में ले जाकर 'साइबर गुलाम' के रूप में बंधक बनाकर काम कराया जा रहा है।

खुफिया एजेंसियां बता रही हैं कि देश के विभिन्न राज्यों के युवा पीढ़ी नौकरी की तलाश में विभिन्न देशों में जा रहे हैं। वे मुख्य रूप से ऑनलाइन नौकरी की तलाश करते हुए विभिन्न फर्जी वेबसाइटों या एजेंटों के चंगुल में फंस जाते हैं। पहले नौकरी दिलाने के नाम पर धोखेबाज उनसे बड़ी रकम ऐंठ लेते हैं। फिर उन्हें इन देशों में ले जाकर बंधक बनाकर गुलामों की तरह काम कराया जा रहा है। कंबोडिया जैसे देश पिछले कुछ वर्षों में पूरी दुनिया में ऑनलाइन धोखाधड़ी का एक बड़ा केंद्र बन गया है। फर्जी कॉल सेंटर खोलकर मुख्य रूप से एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका के विभिन्न देशों के लोगों को इन कंबोडिया, म्यांमार, लाओस, थाईलैंड जैसे देशों से धोखा दिया जा रहा है। इस काम में हमारे देश की युवा पीढ़ी को लगाया जा रहा है। इसके पीछे कुछ चीनी गिरोहों का हाथ होने का भी संदेह खुफिया एजेंसियों को है।

एक-एक कॉल सेंटर में न्यूनतम मजदूरी के बदले 12-16 घंटे तक काम कराया जा रहा है। केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर तक तीन साल में कंबोडिया से 1091, लाओस से 770, म्यांमार से 497 लोगों को वापस लाया, लेकिन अभी भी कई लोग फंसे हुए हैं।

'साइबर गुलामी' के चंगुल से बचने के लिए साइबर विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि नौकरी की तलाश करते समय सुरक्षित और विश्वसनीय वेबसाइटों और एजेंटों की मदद लें। फर्जी वेबसाइट या अच्छी तरह से जांच किए बिना ठग एजेंटों के चंगुल में फंसने पर कोई भी खतरे में पड़ सकता है।


Prev Article
छठ-दिवाली से पहले बिहार को मिला तोहफाः 3 अमृत भारत एक्सप्रेस समेत सात नई ट्रेनों को हरी झंडी
Next Article
बिहार में 22 नवंबर से पहले खत्म होंगे चुनाव, बिहार चुनाव में 17 नए बदलाव

Articles you may like: