हिंदू धर्म में मकर संक्रांति एक बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र तिथि है। इस दिन लगभग पूरे देश में मनाया जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। बंगाल में मकर संक्रांति को पौष पर्व के रूप में मनाया जाता है। बिहार और उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व कहा जाता है।
पंजाब और हरियाणा में इसे लोहड़ी कहा जाता है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल, गुजरात में उत्तरायण और असम में माघ बिहू के नाम से जाना जाता है।
स्नान-दान से बढ़ता पूण्य
मकर संक्रांति सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं है। इसे हमारे देश की कृषि व अर्थव्यवस्था में एक सामाजिक और कृषि से जुड़ा त्योहार भी माना जाता है। मकर संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन गुड़ और तिल खाने का रिवाज है। पश्चिम बंगाल और असम में लोग इस दिन पीठा खाते हैं।
कई जगहों पर पतंग उड़ाकर मकर संक्रांति मनाई जाती है। इसके साथ ही इस दिन गंगा में स्नान करने और दान करने की भी मान्यताएं हैं। मकर संक्रांति के दिन आम तौर पर गुड़, तिल, खिचड़ी, गर्म कपड़े और कंबल दान करने की परंपरा है।
मकर संक्रांति का महत्व
ज्योतिष में भी मकर संक्रांति का खास महत्व है। इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर राशि शनि की राशि है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य और शनि का पिता-पुत्र जैसा रिश्ता है। लेकिन उनके बीच का रिश्ता अच्छा नहीं है। सूर्य का अपने दुश्मन ग्रह शनि के घर में जाना ज्योतिष में खास महत्व रखता है। मकर संक्रांति हर साल जनवरी के बीच में मनाई जाती है।
अगले साल कब है मकर संक्रांति और शुभ मुहूर्त
अगले साल मकर संक्रांति 14 जनवरी 2026 (बुधवार) को मनायी जाएगी।
शुभ समय : दोपहर 2:49 बजे से शाम 5:45 बजे तक
अति शुभ समय : दोपहर 2:49 बजे से दोपहर 3:42 बजे तक
माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन से भगवान सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन होने लगते हैं। रातें धीरे-धीरे छोटी और दिन लंबे होने लगते हैं। इस दिन से सूरज उत्तरी गोलार्ध की ओर झुक जाता है। मकर संक्रांति का जिक्र महाभारत और पुराणों में भी मिलता है।