अमरावतीः शनिवार को आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम ज़िले के काशीबुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में दर्दनाक हादसा हुआ। भगदड़ में 10 भक्तों की मौत हो गई और लगभग 15 लोग घायल हो गए। सवाल यह है कि इस मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं में इतनी दीवानगी क्यों है? और इसे ‘मिनी तिरुपति’ क्यों कहा जाता है?
क्यों कहा जाता है इसे ‘मिनी तिरुपति’?: करीब 600 वर्ष पहले विजयनगर साम्राज्य के समय यह काशीबुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर बनाया गया था। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार इस स्थान पर स्वयं भगवान विष्णु ने वेंकटेश्वर के रूप में प्रकट होकर भक्तों को दर्शन दिए थे। मंदिर की दीवारों पर आज भी उस युग की सुंदर शिलालेख और पत्थर की नक्काशी देखी जा सकती है। पूजा-पद्धति और रीति-रिवाज़ यहाँ तिरुपति बालाजी मंदिर की ही तरह हैं। इसलिए भक्त इस मंदिर के दर्शन को तिरुपति बालाजी के दर्शन के समान मानते हैं। भगवान वेंकटेश्वर के अलावा यहाँ देवी पद्मावती और भगवान विष्णु के अन्य रूपों की भी पूजा की जाती है। जैसे तिरुपति बालाजी मंदिर में, वैसे ही यहाँ भी गर्भगृह में भगवान वेंकटेश्वर की एक विशाल और शांत काले पत्थर की प्रतिमा स्थापित है। आसपास के मंडप और स्तंभों पर सुंदर देव प्रतिमाएँ उकेरी गई हैं।
धार्मिक महत्त्व: एकादशी, ब्रह्मोत्सवम और वैकुण्ठ एकादशी जैसे अवसरों पर यह मंदिर विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। उन दिनों यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि एकादशी के दिन भगवान वेंकटेश्वर की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रार्थना से पहले भक्त नज़दीकी नागाबली नदी में पवित्र स्नान करते हैं, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। इसी गहन आस्था और विश्वास के कारण काशीबुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर को ‘मिनी तिरुपति’ कहा जाता है।