--विदेशियों ने भी छठ उत्सव को कैमरे में किया कैद
--शहर से लेकर देहात तक में छठ पर्व का दिनभर छाया रहा उल्लास, नदियों व जलाशयों पर गूंजे छठ मईया के गीत
--कोलकाता समेत आसपास के जिलों के गंगाघाटों पर भी उमड़ी भीड़, छठ मईया के गीतों से गूंजता रहा गली-मोहल्ला
--कल उगते सूर्य को अर्घ्य देने व पारण के साथ छठ महापर्व का होगा समापन
लोक आस्था और सूर्य उपासना के महापर्व छठ के तीसरे दिन गंगाघाटों पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर जन सैलाब उमड़ा। बच्चे, महिलाएं, वृद्ध से लेकर सभी आयु वर्ग के लोग घाटों पर जमे रहे। उत्सवी माहौल में लोगों ने छठपूजा की और गोधूली बेला में जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया। सूर्य को अर्घ्य देते ही पूरे घाट पर जय हो छठी मईया के उद्घोष से गूंज उठे। मंगलवार को उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व का समापन होगा।
लोग दीप जलाने के साथ ही सूर्य के अस्त होने का इंतजार करते दिखे। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए शहर से लेकर देहात तक में व्रती अपने घरों से निकल घाटों पर पहुंचने लगे थे। व्रतियों के साथ उनके परिजन सिर में दौरी, पूजन सामग्री व प्रसाद से भरा सूप आदि लेकर छठ मइया के गीत गाते हुए उत्साह एवं श्रद्धा के साथ छठ घाट पर पहुंच रहे थे। कई व्रती दंड प्रणाम करते घाट पहुंच रहे थें। सायंकाल चार बजे तक गंगाघाटों, तालाबों और कुंडो में घुटने भर पानी में खड़े होकर व्रति महिलाओं ने अर्घ्य दिया। उनके साथ घाट तक गीत गाते व सिर पर दौरा और सूप लेकर आए पुरुषों ने भी अर्घ्य दिया और अपने परिवार के लिए मंगलकामनाएं मांगी। दोपहर बाद से ही आस्था का समूह गंगाघाटों की ओर बढ़ने लगा। शाम होते ही आस्थावानों की भीड़ बढ़ती चली गई। देखते ही देखते सभी छठ घाट व्रतियों से पट गये। अर्घ्य देने के लिए छठ घाटों पर भीड़ देखते ही बन रही थी। पूरा छठ घाट श्रद्धालुओं की भीड़ से खचाखच भरा था। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता समेत हावड़ा, हुगली,उत्तर व दक्षिण 24 परगना जिले के गंगाघाटों पर छठ आस्था का सैलाब उमड़ा। कोलकाता के बाबुघाट और दहीघाट गंगाघाट पर भारी भीड़ उमड़ी। बाबुघाट में कई विदेशियों को भी तस्वीर खींचते देखा गया। कई समाज सेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं को छठव्रतियों की सेवा करते देखा गया।
क्या कहते हैं छठव्रतिः
कोलकाता के बाबुघाट पर छठ आस्था पर कुछ छठव्रतियों से बात की गयी। टेंगरा से आयीं रश्मि राणा ने बताया कि छठ मईया की महिमा अपरंपार है। लोगों में छठपूजा के प्रति आस्था बढ़ती जा रही है। बेलियाघाटा से आयीं सीमा दास ने बताया कि वह एक गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। छठ मईया से ठीक होने का मन्नत मांगी थी। अब वह बिल्कुल स्वस्थ है। इसलिये छठपूजा करने का उसका हक बनता है।
करीब पांच बजे अर्घ्य अर्पित करने वालों की संख्या सबसे अधिक रही। घाटों पर व्रतियों ने कोशी आदि भरने की रश्म निभाते हुए छठ माई की पूजा शुरु कर दी थीं। जैसे ही भगवान भास्कर अस्त होने को दिखे अर्घ्य देने का सिलसिला शुरु हो गया। परिजनों व महल्ले वालों ने भी घाट पर आकर उन्हें अर्घ्य देने का काम किया। इसके लिए गंगा घाटों को भव्य तरीके से सजाया गया है। कहीं झिलमिल लाइट्स लगाए गए हैं तो कहीं घी के दीए घाट की रौनकता में चार चांद लग गया। मान्यता है कि छठ की सामग्री उठाने से साल पर स्वास्थ्य की कोई परेशानी नहीं होती है। बता दें, छठ व्रति खरना के बाद से ही 36 घंटे का निर्जला उपवास करते हैं। 'केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके, हे छठी मइया, हो दीनानाथ, कांच ही बांस के बहंगिया, दुखवा मिटाईं छठी मईया, नाथ, ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए, कबहुँ ना छूटी छठि मइया, हमहु अरगिया देब, हे छठी मइया आदि मधुर छठ गीतों के बीच भगवान सूर्य की आराधना की गयी।
मिलती है समृद्धि
सूर्य की पूजा मुख्य रूप से तीन समय विशेष लाभकारी होती है। प्रातः, मध्यान्ह और सायंकाल। प्रातःकाल सूर्य की आराधना स्वास्थ्य को बेहतर करती है। मध्यान्ह की आराधना नाम-यश देती है। सायंकाल की आराधना सम्पन्नता प्रदान करती है। अस्ताचलगामी सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, जिनको अर्घ्य देना तुरंत प्रभावशाली होता है, जो लोग अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें प्रातःकाल की उपासना भी जरूर करनी चाहिए।