लोक आस्था के महापर्व छठ आज यानी रविवार दूसरा दिन है। शनिवार को नहाय-खाय के बाद व्रती आज यानी रविवार की शाम खरना का प्रसाद ग्रहण करेंगी। शाम को गुड़ और चावल की खीर बनाकर उसका भोग लगाया जाएगा। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत का शुरु करेंगी। अगले दिन यानी सोमवार शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी और मंगलवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर संतान और परिवार के लिए मंगल कामना करेंगी।
छठ पूजा के दूसरे दिन खरना पूजा का भी विशेष महत्व होता है। खरना छठ पूजा के सबसे महत्वपूर्ण पूजा दिनों में से एक है। इस दिन छठी मैया का आगमन होता है। जिसके बाद भक्त 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू करते हैं। इस साल खरना पूजा पर विशेष संयोग बन रहा, जिसे ज्योतिष काफी शुभ मान रहे। आइए जानते हैं आज खरना का शुभ मुहूर्त पूजा विधि और महत्व के बारे में।
खरना पूजा और प्रसाद ग्रहण के समय इन बातों का रखें ध्यान
छठ पर्व में शुद्धता का विशेष महत्व माना जाता है। अधिकतर छठवर्ती खरना का प्रसाद मिट्टी के बने नये चूल्हे पर ही बनातीं हैं। खरना पूजा के समय और प्रसाद ग्रहण करते समय बाहर से तेज आवाज नहीं आना चाहिए। इस दौरान घर से सदस्यों को तेज आवाज में बोलने या बम-फटाका फोड़ने या कोई अन्य तेज आवाज काम करने से मना किया जाता है। क्योंकि मान्यता है कि खरना पूजा के समय या खरना प्रसाद ग्रहण करते समय तेज आवाज सुनने या शोर-शराबा व्रत में बाधा उत्पन्न करती है। मान्यता यह भी है प्रसाद ग्रहण करते समय व्रती के कान में तेज आवाज आने से वह तत्काल भोजन छोड़ देती हैं। इसलिए तेज आवाज न हो, इसका खास ध्यान रखा जाता है।
छठ का पहला अर्घ्य कल और दूसरा अर्घ्य मंगलवार को
छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के समय नदी या तालाब में खड़े होकर अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इस बार सोमवार यानी 27 अक्टूबर को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। इसमें बांस के सूप में फल, गन्ना, चावल के लड्डू, ठेकुआ सहित अन्य सामग्री रखकर पानी में खड़े होकर पूजा की जाती है। छठ पूजा के चौथे और आखिरी दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस बार 28 अक्टूबर यानी सोमवार को दूसरा अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन व्रती अपने व्रत का पारण करते हैं। साथ ही अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छे भविष्य की कामना करते हैं।