सूर्योपासना का महापर्व छठपूजा आज नहाय-खाय से शुरु, ...कल खरना

By लखन भारती

Oct 25, 2025 12:08 IST

लोक आस्था का महापर्व छठपूजा आज नहाय-खाय से शुरु हो गया। कल पर्व के दूसरे दिन खरना है। बिहार का यह प्रमुख त्यौहार पूरे देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। पश्चिम बंगाल में भी छठ उत्सव की जबरदस्त धूम देखी जा रही है। शनिवार को नहाय-खाय के दिन पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता समेत आसपास के जिलों के गंगाघाटों पर छठव्रतियों ने स्नान किया। खासतौर पर बैरकपुर औद्योगिक क्षेत्र, हावड़ा, हुगली जिले के गंगाघाटों पर छठव्रतियों ने पवित्र गंगा में डूबकी लगाई। यह व्रत परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की कामना, संतान की दीर्घायु और रोगमुक्त जीवन के लिए किया जाता है। छठ पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में ठेकुआ, चावल के लड्डू, फलों, गन्ना और नारियल का इस्तेमाल किया जाता है।

शनिवार को नहाय-खाय से छठ पूजा की शुरुआत हो गयी। बाजारों में पूजन सामग्री खरीदने के लिए शुक्रवार शाम से ही जबरदस्त भीड़ उमड़ी। शनिवार को भी खरीददारी चल रही है। दीपावली के बाद से ही शहर के बाजारों में छठपूजा की पारंपरिक वस्तुओं की रौनक देखने को मिल रही है। बांस की बस्तुएं सूप और दउरा (टोकरी) की बिक्री तेजी से हो रही है। सोमवार(27 अक्टूबर) को डूबते यूर्य यानी अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा और मंगलवार(28 अक्टूबर) की सुबह उषा अर्घ्य यानी उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर छठपूजा की समाप्ति हो जायेगी। जहां-जहां गंगा दूर बहती हैं वहां-वहां छठ मैया के पूजन के लिए मंदिरों, घरों व सार्वजनिक स्थलों पर भी कुंड तैयार किए जा रहे हैं ताकि पानी में खड़े होकर अर्घ्य दी जा सके। 27 अक्टूबर को सूर्योदय का समय छठ पूजा के दिन प्रातः काल 6:13 बजे रहेगा। 27 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय छठ पूजा के दिन सायंकाल 05:27 बजे रहेगा। 28 अक्तूबर को सूर्योदय का समय प्रातःकाल 6:13 बजे रहेगा।

छठपूजा क्यों मनाया जाता है ?

छठ पर्व भगवान सूर्य और पष्ठी माता को समर्पित है जो षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और छठ मैया की पूजा की जाती है। छठ मैया के बारे में कथा है कि यह ब्रह्माजी की मानस पुत्री हैं और सूर्यदेव की बहन हैं। शास्त्रों में छठ मैया को संतान की रक्षा करने वाली और संतान सुख देने वाली देवी के रूप में बताया गया है, जबकि सूर्यदेव अन्न और संपन्नता के देवता हैं। धर्माचार्य बताते हैंं कि छठ महापर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन मनाया जाता है। चार दिवसीय यह उत्सव 25 से प्रारंभ होकर 28 अक्तूबर की सुबह सूर्योदय के बाद संपन्न होगा। संतान की प्राप्ति, मंगल जीवन एवं दीर्घायु की कामना लिए सुहागिन महिलाएं पहले दिन नहाय-खाय के साथ यह पूजा शुरू करेंगी।

पहले दिन से घर-घर छठी मइया की महिमा का बखान शुरू हो जाएगा। दूसरे दिन व्रती खरना करेंगे। इस दिन स्वच्छता के साथ घरों में गुड़-चावल की खीर बनती है। इसी से खरना कर 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा। बांस की वस्तुओं को इस बार अधिक रचनात्मकता के साथ तैयार किया गया है। महंगाई के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था पर कोई असर नहीं पड़ा है। मिट्टी के दीए और कलश की भी अच्छी बिक्री हो रही है। छठ पूजा में चढ़ाए जाने बाले मौसमी फल और सब्जियों की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ लगी है। कद्दू, इमली, अरबी, केला, नारियल, पानी फल, सेब, हल्दी, अदरक, मूली और गन्ना (ईख) की भरपुर मांग है।

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