25 अक्टूबर से शुरू हुआ है इस साल का छठ महापर्व। मुख्य पूजा आज सोमवार शाम और कल मंगलवार सुबह होगी। इस धार्मिक उत्सव में अस्त होते सूर्य और उदित सूर्य की पूजा की जाती है। छह शब्द को नेपाल या उत्तर भारत के कई स्थानों पर छठ कहते हैं। और उसी से इस पूजा को छठ पूजा कहा जाता है, ऐसी कई लोगों की मान्यता है। कार्तिक मास की शुक्ल षष्ठी में यह पूजा की जाती है। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए छठ पूजा एक प्रमुख उत्सव है।
छठ पूजा में देखा जाता है कि महिलाएं नाक से मांग तक खींचकर नारंगी रंग का सिंदूर लगाती हैं। क्यों छठ पूजा में इस तरह महिलाओं के सिंदूर लगाने की प्रथा प्रचलित है। दरअसल छठ पूजा उर्वरा शक्ति और परिवार की मंगल कामना के लिए रखी जाती है। प्रचलित मान्यता के अनुसार छठ पूजा में लंबा सिंदूर लगाने से पति दीर्घायु होते हैं। लंबे सिंदूर का टीका परिवार में सुख समृद्धि लाता है, ऐसा भी कई लोग मानते हैं और नारंगी रंग का सिंदूर परिवार में आर्थिक समृद्धि लाता है, ऐसी मान्यता बिहार और उत्तर प्रदेश में प्रचलित है। फिर नारंगी रंग बजरंगबली का भी प्रिय है। इसलिए पत्नी नारंगी सिंदूर लगाने से पति के जीवन में हर कदम पर सफलता मिलती है, ऐसा माना जाता है।
कार्तिक मास की शुक्ल षष्ठी तिथि में मनाई जाती है छठ पूजा। यह पूजा दरअसल सूर्य और उनकी दो पत्नियों उषा और प्रत्यूषा की पूजा है। इसी कारण सुबह और शाम पानी में कमर तक खड़े होकर सूर्य की आराधना की जाती है। कुल चार दिन तक यह पूजा चलती है। साल में 2 बार छठ पूजा होती है, एक बार चैत्र मास में और दूसरी बार कार्तिक मास में लेकिन कार्तिक मास में जो छठ होती है, वही बड़े पैमाने पर मनाई जाती है।
पूजा के नियम के अनुसार पहले दिन महिलाएं दिन में एक बार कद्दू की सब्जी के साथ चावल खाकर फिर 12 घंटे उपवास रखती हैं। इसके बाद कुछ खाना खाकर फिर 24 घंटे उपवास रखती हैं। इसके बाद एक बार फिर खाना खाकर फिर से 36 घंटे उपवास रखती हैं। फिर तालाब या नदी में जाकर छाती तक पानी में खड़े होकर सूर्य देव के सामने अपने मन की प्रार्थना व्यक्त करती हैं। छठ पूजा का कोई विशेष मंत्र नहीं है। सभी अपनी-अपनी भाषा में सूर्य से मन ही मन प्रार्थना कर सकते हैं।