नयी दिल्लीः लोकसभा में वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर हुई विशेष चर्चा के दौरान राजनीतिक तापमान तब बढ़ गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कांग्रेस पर राष्ट्रीय गीत के साथ अन्याय करने और इतिहास के महत्वपूर्ण क्षणों में तुष्टीकरण की राजनीति अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि जवाहरलाल नेहरू ने मोहम्मद अली जिन्ना के विरोध के दबाव में वंदे मातरम् के मूल संस्करण में परिवर्तन स्वीकार किए, जिसने आगे चलकर विभाजन की भूमि तैयार की। उन्होंने कांग्रेस नेताओं, विशेषकर राहुल गांधी की अनुपस्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि गंभीर बहस के बीच विपक्ष का नेता सदन में नहीं होना असम्मान दर्शाता है।
भाजपा का आरोप: गांधी परिवार आत्मग्लानि के कारण सदन से गायबः प्रधानमंत्री के बाद भाजपा प्रवक्ताओं और सांसदों ने भी कांग्रेस पर हमला तेज़ किया। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा इसलिए सदन में उपस्थित नहीं हुए क्योंकि वंदे मातरम् के साथ हुए ऐतिहासिक छल को लेकर उनमें अपराधबोध था। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री के भाषण ने कांग्रेस और गांधी परिवार की वास्तविक भूमिका उजागर कर दी। वहीं, भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस इस चर्चा से इसलिए घबरा रही है क्योंकि इतिहास के कई अवसर पर उसने राष्ट्रगीत की उपेक्षा की है। कांग्रेस ने पहले भी राजनीतिक कारणों से राष्ट्रीय प्रतीकों को सीमित या कमजोर करने की कोशिश की।
कांग्रेस का पलटवार: कहा-प्रधानमंत्री इतिहास को तोड़-मरोड़ रहे हैंः कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के आरोपों को भ्रम फैलाने वाला और राजनीतिक लाभ के लिए इतिहास का दुरुपयोग बताया। सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि सरकार वंदे मातरम् की बहस इसलिए आगे बढ़ा रही है क्योंकि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव निकट हैं और जनता जिन वास्तविक समस्याओं से जूझ रही है, उनसे ध्यान हटाना चाहती है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए भाजपा पर पलटवार किया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री यह बताएंगे कि आज़ादी से पहले बंगाल में जिन नेता ने पाकिस्तान प्रस्ताव रखने वाले एके फ़ज़लुल हक के साथ मिलकर सरकार बनाई थी, वे श्यामा प्रसाद मुखर्जी नहीं थे? या 2005 में जिन्ना के मकबरे पर प्रशस्ति लिखने वाले लालकृष्ण आडवाणी किस पार्टी से थे? रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री इतिहास के चयनित हिस्से प्रस्तुत कर रहे हैं, जबकि सच्चाई कहीं अधिक व्यापक है।