वंदे मातरम् के 150 वर्ष: संसद में मोदी ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया

वंदे मातरम् राष्ट्र की ऊर्जा का मंत्र बताते हुए प्रधानमंत्री ने इसे भारत की राष्ट्रीय चेतना को एकसूत्र में पिरोने वाला गीत बताया।

By डॉ. अभिज्ञात

Dec 08, 2025 15:26 IST

नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के छठे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वंदे मातरम्’ को एक शक्तिशाली मंत्र और स्वतंत्रता आंदोलन को ऊर्जा देने वाला नारा बताते हुए कहा कि सरकार का लक्ष्य इसकी गौरवशाली परंपरा को आने वाली पीढ़ियों के लिए पुनर्स्थापित करना है। वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर लोकसभा में विशेष चर्चा के दौरान उन्होंने इसे भारत की राष्ट्रीय चेतना को एकसूत्र में पिरोने वाला गीत बताया।

मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् ने स्वतंत्रता संग्राम को ऊर्जा, प्रेरणा और त्याग का मार्ग दिखाया। आज देश संविधान के 75 वर्ष, सरदार पटेल और बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती तथा गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत-जयंती जैसे महत्वपूर्ण पड़ाव मना रहा है। उन्होंने इसे ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि इस पवित्र गीत को याद करना सदन के सभी सदस्यों के लिए सौभाग्य की बात है।

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने वंदे मातरम् के इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि 50 वर्ष पूरे होने पर भारत ब्रिटिश शासन में था और 100 वर्ष पूरे होने पर देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, जब संविधान को दबा दिया गया और देशभक्तों को जेल में डाल दिया गया। उन्होंने कहा कि 150 वर्ष पूरे होने का अवसर अतीत के गौरव को पुनर्स्थापित करने का समय है। यह वही गीत जिसने 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए प्रेरित किया।

मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने सामाजिक सद्भाव के नाम पर राष्ट्रीय गीत को टुकड़ों में बांट दिया और आज भी तुष्टिकरण की राजनीति जारी रखी है। उन्होंने सुभाष चंद्र बोस को नेहरू द्वारा लिखा गया वह पत्र भी उद्धृत किया, जिसमें कहा गया था कि वंदे मातरम् मुसलमानों को उत्तेजित कर सकता है। यह पत्र मोहम्मद अली जिन्ना के विरोध के बाद लिखा गया था। 26 अक्टूबर को कांग्रेस ने वंदे मातरम् पर समझौता कर लिया और तुष्टिकरण के दबाव में इसे विभाजित करने पर तैयार हो गई। मोदी के अनुसार यही राजनीति अंततः देश के विभाजन के आगे झुकने का भी कारण बनी। इतिहास गवाह है कि कांग्रेस मुस्लिम लीग के आगे झुक गई।

प्रधानमंत्री ने यह भी याद दिलाया कि महात्मा गांधी ने 1905 में लिखा था कि वंदे मातरम् इतना लोकप्रिय था कि वह राष्ट्रीय गान के रूप में उभर चुका था। उन्होंने प्रश्न उठाया कि यदि यह गीत इतना लोकप्रिय था तो इसके साथ अन्याय क्यों हुआ और कौन-सी शक्तियों ने गांधीजी की इच्छाओं को भी नकार दिया। मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् उस कठिन समय में लिखा गया जब 1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश शासन दमनकारी नीतियां लागू कर रहा था और ‘गॉड सेव द क्वीन’ को हर घर में पहुंचाने का अभियान चला रहा था। इस चुनौती का उत्तर बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने वंदे मातरम् के रूप में दिया। 1905 में बंगाल विभाजन के दौरान भी यह गीत चट्टान की तरह खड़ा रहा और देश में एकता की भावना को प्रेरित करता रहा।

विपक्ष की अनुपस्थिति पर टिप्पणी करते हुए मोदी ने कहा कि अब समय है कि उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक देश एकजुट हो। यह अवसर नेतृत्व या विपक्ष का नहीं, बल्कि वंदे मातरम् के प्रति सामूहिक ऋण स्वीकार करने का है। यह गीत हमें स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करे और 2047 तक भारत को आत्मनिर्भर व विकसित बनाने के संकल्प को मजबूत करे। लोकसभा में इस बहस के लिए कुल 10 घंटे निर्धारित किए गए हैं और चर्चा राज्यसभा में भी जारी रहेगी। संसद का वर्तमान शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू होकर 19 दिसंबर तक चलेगा।

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