नयी दिल्लीः संसद के शीतकालीन सत्र में 'वंदे मातरम' की 150वीं सालगिरह पर चर्चा की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को लेकर विवाद खड़ा हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साहित्य सम्राट बंकिम चंद्र चटर्जी को 'बंकिम दा' कहकर संबोधित किया। तुरंत ही तृणमूल कांग्रेस की बेंच से आपत्ति जताई गई। इसके बाद हालांकि प्रधानमंत्री ने गलती सुधार ली जब तृणमूल सांसद सौगत राय का बयान उनके कानों तक पहुंचा लेकिन विवाद थम नहीं पाया। तृणमूल ने आरोप लगाया कि 'साहित्य सम्राट' का अपमान किया गया।
प्रधानमंत्री ने किया भाषण का आरंभ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में 'वंदे मातरम' पर चर्चा की शुरुआत करते हुए बात की। उस समय उन्होंने राष्ट्रगीत के रचयिता, साहित्य सम्राट बंकिम चंद्र चटर्जी को 'बंकिम दा' कहकर संबोधित किया। जैसे ही उनका भाषण सुना गया, तृणमूल सांसद सौगत राय ने आपत्ति जताई। तृणमूल बेंच की ओर से भी विरोध किया गया। पहले तो प्रधानमंत्री ने इसे नहीं सुना लेकिन सौगत राय की बात कई बार कहने के बाद मोदी ने इसे सुना।
प्रधानमंत्री ने भाषण रोककर गलती सुधारी
इसके बाद प्रधानमंत्री ने अपना भाषण रोक दिया। उस समय दमदम के सांसद ने अनुरोध किया, 'दादा नहीं, कम से कम उन्हें बाबू तो कहिए।' प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'ठीक है, मैं उन्हें बंकिम बाबू कहूंगा। धन्यवाद। मैं आपके विचारों का सम्मान करता हूं। उन्हें बंकिम दा कहना मेरी गलती थी।' उसी समय मोदी ने तृणमूल सांसद को दादा कहकर संबोधित किया और मजाक करते हुए कहा, 'क्या मैं आपको दादा कह सकता हूं? मैं आपको दादा कहता हूं।' इसके बाद उन्होंने अपना भाषण फिर से शुरू किया। बाकी भाषण में प्रधानमंत्री ने साहित्य सम्राट को उनके पूरे नाम और 'बंकिम बाबू' कह कर संबोधित किया।
तृणमूल ने लगाया अपमान का आरोप
हालांकि बात यहीं खत्म नहीं हुई। तृणमूल कांग्रेस के सांसद 'वंदे मातरम' के लेखक को दादा कहे जाने का विरोध किया। तृणमूल कांग्रेस की चीफ व्हिप काकली घोष दस्तीदार ने लोकसभा में कहा, 'आज प्रधानमंत्री ने ऋषि बंकिम चंद्र चटर्जी को 'बंकिम दा' कहा। बंगाली इस अपमान को स्वीकार नहीं करेंगे। क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऋषि बंकिम चंद्र चटर्जी के साथ चाय पर बैठे थे?'
सोशल मीडिया पर भी विरोध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तृणमूल कांग्रेस ने सोशल मीडिया के माध्यम से भी हमला बोला। एक पोस्ट में लिखा गया, 'जे.पी. नड्डा ने यह दिखा दिया कि वे कितने अज्ञानी हैं क्योंकि उन्होंने कवि रवींद्रनाथ टैगोर के जन्मस्थान शांतिनिकेतन के बारे में गलत कहा। अब राज्यसभा में वंदे मातरम पर बैन के बाद नई हास्यास्पद घटना सामने आई है। संसद में खड़े होकर मोदी जी बंगाल के पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जन नायक और वंदे मातरम के रचयिता और प्रख्यात बंगाली कवि बंकिम चंद्र चटर्जी को 'बंकिम दा' कह रहे हैं। बंगाल में जिनका सम्मान किया जाता है, उन्हें इस तरह नहीं बुलाया जाता। यह सम्मान की भाषा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक अज्ञानता का सबूत है।'
पोस्ट में पूरी BJP पार्टी को निशाने पर लिया गया और लिखा गया, 'बंकिम चंद्र चटर्जी बंगाल की संस्कृति की रीढ़ हैं, BJP के डैमेज कंट्रोल का जरिया नहीं। BJP नेताओं, ध्यान से सुनिए, आप लोग परंपरा के उत्तराधिकारी नहीं हैं, आप नकल के उत्तराधिकारी हैं।'