जटिल बीमारी से पीड़ित अपने बच्चे को लेकर हावड़ा से बेंगलुरु के लिए रवाना हुए थे। जटिल बीमारी के इलाज के लिए ही यह कदम उठाया गया था लेकिन आखिरकार बचाया नहीं जा सका। ट्रेन जैसे ही खड़गपुर स्टेशन से आगे बढ़ी दो साल के नन्हें समीर मुल्लाह की सांसें उखड़ने लगी। समीर के पिता अल्ताफ अली मुल्लाह ने तुरंत टीटीई को इस बात की जानकारी दी। रेलवे कंट्रोल रूम की तरफ से बेलदा स्टेशन को खबर भेज कर एम्बुलेंस तैयार रखने का निर्देश दिया गया।
स्टॉपेज नहीं होने के बावजूद रात को साढ़े बारह बजे आपातकालीन तौर पर बेलदा स्टेशन पर हावड़ा-एसएमवीटी बेंगलुरु सुपरफास्ट एक्सप्रेस को रोका गया। एम्बुलेंस में बच्चे को बेलदा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल लाया भी गया लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। बताया जाता है कि 2 वर्षीय समीर मुल्लाह मस्तिष्क की जटिल बीमारी से पीड़ित था। अपने इकलौते बेटे को खोने के बावजूद अल्ताफ ने रेलवे अधिकारियों सहित रेल पुलिस और सहयात्रियों के प्रति आभार व्यक्त किया है।
शनिवार की दोपहर को एई समय ऑनलाइन को फोन पर उन्होंने बताया कि बेलदा स्टेशन पहुंचने से पहले ही उसकी सांसें हमेशा के लिए रुक गई थी। हमें यह समझ में भी आ गया था। फिर भी अल्लाह का नाम लेते हुए हम अस्पताल गए थे। टीटीई को बताने के बाद उन्होंने जिस तरह से तुरंत कार्रवाई की और सहयात्रियों ने सहयोग किया, हम उसके लिए आभारी हैं। साथ ही बेलदा स्टेशन पर ट्रेन रोककर जिस तरह से तत्परता के साथ अस्पताल ले जाया गया और उसके बाद गाड़ी से घर भी पहुंचाया गया। इसके लिए अल्ताफ ने रेल और अस्पताल के अधिकारियों को धन्यवाद दिया है।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण 24 परगना के बेगमपुर इलाके के निवासी अल्ताफ पेशे से एक मजदूर हैं। लगभग तीन साल पहले उनकी शादी हुई। 2023 के सितंबर महीने में उनका बेटा समीर पैदा हुआ। लेकिन जन्म से ही समीर मस्तिष्क की एक जटिल बीमारी (हाइड्रोसेफालस) से पीड़ित था। अल्ताफ का दावा है कि कोलकाता के चित्तरंजन मेडिकल कॉलेज से पीजी हॉस्पिटल (एसएसकेएम) तक कहीं भी सही इलाज नहीं मिलने पर डेढ़ साल पहले वह अपने बेटे को लेकर बेंगलुरु गए। वहीं समीर का ऑपरेशन हुआ। वह काफी स्वस्थ हो गया था। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि कोई बड़ी समस्या नहीं होने पर फिर से आने की जरूरत नहीं है। कोलकाता के किसी भी बड़े अस्पताल में चेकअप करा लेना काफी होगा।
इधर 15 दिन पहले फिर से उसकी समस्या दिखाई दी। बच्चा दिन-रात रोने लगा। उसे उल्टी होने लगी और सांस लेने में तकलीफ शुरू हो गई। फिर से उन्होंने अपने बच्चे को लेकर अल्ताफ ने पीजी में दौड़-धूप शुरू की। उन्होंने आरोप लगाया कि मेरे बेटे की हालत बेहद चिंताजनक होने के बावजूद उसे अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया। कभी न्यूरो विभाग में भेजा गया तो कभी मेडिसिन विभाग में। अंत में भर्ती नहीं करने पर तुरंत टिकट काटकर शुक्रवार की रात 10.45 बजे हावड़ा-एसएमवीटी बेंगलुरु सुपरफास्ट एक्सप्रेस से रवाना हुआ। अल्ताफ का अफसोस है कि पीजी में व्यर्थ की दौड़-धूप न करके 15 दिन पहले ही अगर रवाना हो जाता तो शायद अपने बच्चे को बचा सकता था।