पीड़िता के पिता शुरू से ही दुर्गापुर सामूहिक बलात्कार मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि शुरुआती दौर में पुलिस की कोई सक्रियता नहीं थी।पीड़िता के पिता को डर है कि बंगाल में उनकी बेटी की जान को खतरा है। इसलिए उन्होंने सोमवार को अपनी बेटी को ओडिशा स्थित अपने घर वापस ले जाने की इच्छा जताई है। वे बेटी के गोपनीय बयान का इंतजार कर रहे हैं। दूसरी ओर पुलिस का दावा है कि पीड़िता के परिवार को जांच की प्रगति की पूरी जानकारी दे दी गई है। पुलिस आयुक्त सुनील चौधरी ने बताया कि पीड़िता के परिवार के सदस्यों को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने का अनुरोध किया गया था। हालांकि उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया है।
कमिश्नर ने आज शाम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "इस घटना में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है। हमने पीड़िता के पिता से बात की है। उन्हें हर संभव मदद दी जा रही है। उन्हें निजी सुरक्षा की पेशकश की गई थी लेकिन उन्होंने इसे लेने से इनकार कर दिया। हमारे सभी अधिकारियों के नंबर लड़की के पिता को दे दिए गए हैं। अब तक जो जांच हुई है उसकी जानकारी लड़की के पिता को दे दी गई है।"
सोमवार दोपहर ओडिशा महिला आयोग की अध्यक्ष शोभना मोहंती सहित तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पीड़िता से मिलने दुर्गापुर पहुंचा। आरोप है कि शुरुआत में अस्पताल के सुरक्षा कर्मचारियों ने उन्हें अस्पताल में घुसने से रोक दिया। लगभग बीस मिनट इंतजार करने के बाद उन्हें अंदर जाने दिया गया। वे लगभग एक घंटे तक अस्पताल में रहे। उन्होंने पीड़िता से भी मुलाकात की।
रात लगभग साढ़े नौ बजे बाहर आकर शोभना मोहंती ने कहा, "हमने छात्रा और उसके माता-पिता से बात की। छात्रा इस हादसे की वजह से मानसिक रूप से विचलीत है। उसे इस दर्द से राहत दिलाने के साथ ही उसकी बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत है। उसके लिए बेहतर इलाज की व्यवस्था करने की आवश्यकता है। अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। हम चाहते हैं कि गिरफ्तार लोगों का फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाया जाये और दोषियों को जल्द से जल्द सजा दी जाये।"