वराहनगर में सोने की दुकान में डकैती-हत्या कांड के आरोपी राकेश के पिता और भाई बिहार से गिरफ्तार

इस घटना में अब तक मुख्य आरोपी संजय मैती सहित कुल 7 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस की जांच में पता चला है कि प्रेसीडेंसी जेल में बंद राकेश जेल में बैठकर ही अपराध के अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था।

By Debarghya Bhattacharya, Posted By : Moumita Bhattacharya

Oct 11, 2025 13:03 IST

समाचार एई समय, वराहनगर : बार-बार ठिकाना बदलने का भी कोई फायदा नहीं हुआ। वराहनगर में सोने की दुकान में डकैती और हत्या कांड में बिहार के कुख्यात अपराधी जेलबंद राकेश दास का भाई प्रिंस दास (बड़ा प्रिंस) आखिरकार पुलिस की जाल में फंस ही गया। मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार की रात को बिहार के एक गुप्त अड्डे से पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है। इस घटना में शामिल होने के आरोप में उसके पिता रंजीत दास को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। शुक्रवार की रात को ही उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर बैरकपुर लाया गया है।

जानकारी के अनुसार आज, शनिवार को उन्हें बैरकपुर अदालत में पेश किया जाएगा। इस घटना में अब तक मुख्य आरोपी संजय मैती सहित कुल 7 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस की जांच में पता चला है कि प्रेसीडेंसी जेल में बंद राकेश जेल में बैठकर ही अपराध के अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था।

इसलिए राज्य में अपराध जगत के मुखिया के तौर पर उसने संजय मैती को चुना था। लेकिन नियंत्रण अपने हाथ में रखने के लिए उसने अपने भाई और पिता को भी आपराधिक कार्यों में शामिल कर लिया। दोनों के बीच यह करार हुआ था कि हर अपराध के बाद संजय निर्धारित रकम राकेश को देगा। बदले में राकेश उसे डकैती के लिए दूसरे राज्य के अपराधी सप्लाई करेगा।

इसी के आधार पर वराहनगर की डकैती और हत्या की घटना में बिहार के उक्त अपराधी के पिता के हाथों में 7 लाख रुपये संजय ने सौंपे थे।

गत 4 अक्टूबर को डकैती के बाद रात में राकेश का पिता रंजीत वहीं पैसा लेने कोलकाता आया था। संजय के कहने पर, एक और पकड़े गए नारकेलडांगा निवासी सुरजीत शिकदार ने पैसा उसके हाथ में सौंपा था। इस बीच प्रेसीडेंसी जेल जाकर राकेश से बैरकपुर पुलिस के अधिकारियों ने पूछताछ की है। बताया जाता है कि राकेश ने स्वीकार किया है कि जेल में बैठकर ही वह अपना अपराधिक साम्राज्य पिता और भाई की मदद से चलाना चाहता था। भाई के कहने पर प्रिंस झारखंड के चंदन मंडल और प्रिंस कुमार को लेकर वराहनगर आया था। पिता रंजीत का काम वित्तीय मामलों को देखना था।

पूछताछ में पुलिस को पता चला है कि वराहनगर शंभुनाथ दास लेन में शंकर नगेन जाना (63) की दुकान में डकैती और उनकी हत्या के बाद प्रिंस दास, चंदन और प्रिंस कुमार तीनों पहले कोन्नगर गए। वहां से ट्रेन पकड़कर हावड़ा गए और अलग-अलग होकर बिहार और झारखंड चले गए। संजय बेदियापाड़ा निवासी पांचू सामंत के घर चला गया था।

सोने के गहने रखकर पांचू ने 10 लाख रुपये संजय को दिए थे। 3 लाख रुपये अपने पास रखकर बाकी 7 लाख रुपये संजय ने सुरजीत को दिए थे। वह पैसा राकेश के पिता को दे देता है। 7 लाख रुपये लेकर रंजीत बिहार लौटकर झारखंड निवासी प्रिंस कुमार और चंदन मंडल को 1 लाख रुपये करके देता है। बाकी 5 लाख रुपये उसके पास था।

रंजीत को पुलिस ने गिरफ्तार कर उसके पास से 4 लाख 80 हजार रुपये जब्त किए हैं। बताया जाता है कि लेकिन इस काम के लिए भाई प्रिंस ने कोई पैसा नहीं लिया। क्योंकि डकैती के समय ही उसने अपनी जेब में गहने भर लिए थे। बैरकपुर के पुलिस कमिश्नर मुरलीधर शर्मा ने इस मामले में कहा कि हमने जांच का दायरा काफी समेट लिया है। एक और अपराधी अभी भी पहुंच से बाहर है। उम्मीद है जल्दी उसे भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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