तृणमूल के करीबी सहयोगी मतुआ, गोसाई और दलपतियों द्वारा 'SIR' का विरोध और बिना शर्त नागरिकता की मांग को लेकर किए जा रहे आमरण अनशन को लेकर शांतनु ठाकुर और ममता बाला ठाकुर के बीच वाकयुद्ध जारी है। अनशन के पहले दिन शांतनु ठाकुर ने अनशनकारियों का 'बांग्लादेशी मुसलमान' और 'रोहिंग्या' कहकर कटाक्ष किया था।
सोमवार को अपनी भूख हड़ताल के छठे दिन शांतनु ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए कहा था कि ममता बनर्जी और उनकी सरकार चाहती है कि आतंकवादियों को भारत में नागरिकता दी जाए। इस बीच ममताबाला ठाकुर ने घोषणा की है कि वह खुद बुधवार से ठाकुरबाड़ी में आमरण अनशन पर बैठेंगी।
भूख हड़ताल कर रहे कई अनशनकारी पहले ही बीमार पड़ चुके हैं। आज भी तीन अनशनकारी बीमार पड़ गए। उन्हें ठाकुरनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। सोमवार को मध्य प्रदेश से लौटने के बाद ममताबाला बीमारों से मिलने पहुंची। 21 मतुआ, गोसाई और दलपति ने आमरण अनशन शुरू किया है।
दिल्ली रवाना होने से पहले केंद्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा था कि तृणमूल कांग्रेस भूख हड़ताल के नाम पर नाटक कर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। 'SIR' के लिए बांग्लादेशी दस्तावेज जरूर मांगेंगे। केंद्र सरकार चरमपंथियों को नागरिकता नहीं देगी। ममता बनर्जी और उनकी सरकार चाहती है कि भारत में आतंकवादियों को नागरिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि इनके खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
इस मामले में ममताबाला ठाकुर ने कहा, "गोसाई और दलपति अपनी जान जोखिम में डालकर मतुआ समुदाय के हितों के लिए लड़ रहे हैं। क्या शांतनु ठाकुर को लगता है कि उनकी लड़ाई नाटक है? अगर ये बांग्लादेशी मुसलमान हैं, रोहिंग्या हैं, तो फिर हरिचंद, गुरुचंद ठाकुर, वीणापाणि ठाकुर क्या हैं?"