दक्षिण 24 परगना के आठ प्रवासी मजदूर इराक में काम करने गए थे और मुसीबत में फंस गए हैं। परिवार का आरोप है कि वे दो साल के अनुबंध पर इराक गए थे लेकिन अब उनका वीजा समाप्त हो गया है। इसलिए दो साल आठ महीने बाद भी वे घर नहीं लौट पा रहे हैं। परिवार वालों को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने स्थानीय प्रशासन से संपर्क किया। इस बारे में पता चलते ही तृणमूल कांग्रेस के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने उन प्रवासी मजदूरों को घर वापस लाने की व्यवस्था करायी।
सूत्रों के अनुसार, इराक में काम करने गए बंगाल के 12 प्रवासी मजदूर वहां फंस गए हैं। इनमें नामखाना प्रखंड के आठ मजदूर भी शामिल हैं। इराक में फंसे प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए उनके परिवारों ने स्थानीय प्रशासन से संपर्क किया। उन्होंने मथुरापुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद बापी हलदर को भी इस बारे में सूचित किया। बताया जा रहा है कि अभिषेक बनर्जी को इस मामले की जानकारी मिली और उन्होंने उनकी वापसी की व्यवस्था की।
गुरुवार को बापी हलदर ने इराक में फंसे मजदूरों के परिवारों को खाने-पीने का सामान और कपड़े सौंपे। उन्होंने बताया, "नामखाना प्रखंड के आठ मजदूर दो साल आठ महीने पहले इराक में काम करने गए थे। काम पर गये इन लोगों के वहां फंस जाने की घटना हाल ही में सामने आई। अभिषेक बनर्जी के प्रयासों से एक मजदूर पहले ही घर लौट आया है। चूंकि पासपोर्ट वीजा की अवधि समाप्त हो गई है, इसलिए उसे नवीनीकृत करके उन्हें वापस लाया जाएगा।"
इस बीच इराक में फंसे मजदूरों के परिवार उनके घर लौटने की खबर से खुश हैं। एक प्रवासी मजदूर की पत्नी मसूदा बीबी ने कहा, "मैं बहुत दिनों से परेशान थी। अब मुझे थोड़ी राहत मिली है। मेरे पति शनिवार को घर लौट आएंगे। वे दो साल के अनुबंध पर वहां गए थे लेकिन दो साल आठ महीने बाद भी उन्हें हिरासत में रखा गया और पीटा गया। उन्हें खाना भी नहीं दिया गया। अपने पति से यह सब सुनने के बाद, मैंने प्रशासन को सूचित किया। उन्होंने हमारी बात सुनी और सभी को वापस ला रहे हैं।"