गंगासागर मेले के समय मुड़ीगंगा पार करने के लिए इस बार इसरो की विशेष तकनीक का सहारा लिया जाएगा। जिला प्रशासन के सूत्रों से पता चला है कि तीर्थ यात्रियों के लिए जो भी वेसल और बार्ज मुड़ीगंगा पार करेंगे, उसमें इसरो द्वारा अविष्कृत एक प्रकार का डिवाइस लगाया जाएगा। उस डिवाइस का उपयोग करके ऐप के माध्यम से वेसल और बार्ज की सही स्थिति पता किया जा सकेगा।
साथ ही, जलीय मार्ग की स्थिति भी वेसल के चालक जान सकेंगे। अतिरिक्त धुंध होने पर भी कई बार मुड़ीगंगा में वेसल की आवाजाही में समस्या होती है लेकिन नए प्रावधान के तहत धुंध में भी वेसल की आवाजाही सुचारू रहेगी। इसके लिए प्रत्येक वेसल और बार्ज के चालक को प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशासन के अधिकारी कंट्रोल रूम से सैटेलाइट फोन की मदद से उनके साथ सीधे संपर्क बनाए रखेंगे।
जैसे ही खतरे का संकेत मिलेगा, तुरंत बचाव नौका पहुँच जाएगी। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, गंगासागर मेलें से पहले मुड़ीगंगा नदी में कीचड़ हटाने का काम शुरू हो रहा है।
ड्रेजिंग में लगभग 22 करोड़ रुपये खर्च होंगे। धुंध से निपटने के लिए मुड़ीगंगा नदी में बिजली के टावर पर लगभग 600 फॉग लाइट्स, लेजर लाइट सहित 5 प्रकार की लाइटें लगाने की योजना है। हवाई अड्डे में जो मूविंग लाइट इस्तेमाल होती है, वही लाइट यहां भी लगाई जाएगी। ऑस्ट्रेलिया की अत्याधुनिक फॉग लाइट का भी इस्तेमाल करने की योजना बनाई गई है।
हावड़ा, धर्मतला और सियालदह से तीर्थयात्रियों, जो बसों में गंगासागर जाएंगे उनमें जीपीएस ट्रैकिंग की व्यवस्था होगी। कंट्रोल रूम से जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से सभी वाहनों पर नजर रखी जाएगी। प्रशासन के एक जिला अधिकारी के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में गंगासागर मेले के समय धुंध के कारण मुड़ीगंगा नदी में यात्री पारगमन में बहुत समस्या हुई। इसके परिणामस्वरूप काकद्वीप के लॉट नंबर आठ से समुद्र के कचुबेड़िया जेटीघाट तक पहुंचने में तीर्थयात्रियों को बहुत कठिनाई उठानी पड़ी। कंधे, पीठ और सिर पर बड़े-बड़े बैग लेकर घंटों-घंटों खड़े रहना पड़ता था। उम्मीद है कि इस बार ऐसा नहीं होगा।
पश्चिम बंगाल सरकार इस बार गंगासागर मेले को 'हाईटेक इवेंट' में बदलना चाहती हैं। सुंदरबन विकास मंत्री बंकिम हाजरा ने कहा कि जोर-शोर से गंगासागर मेले की तैयारी चल रही है। पहले ही बुनियादी ढांचे का काम शुरू हो गया है। दिसंबर के महीने के आखिरी सप्ताह तक सभी काम पूरा हो जाएगा। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार दिसंबर के अंत या नए साल की शुरुआत में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मेले की तैयारियों का निरीक्षण करने जा सकती हैं।