गयी थी केकड़ा पकड़ने लेकिन पाला पड़ गया मगरमच्छ से। कुछ देर तक दोनों के बीच संघर्ष चलता रहा। किसी तरह महिला ने अपनी जान बचाई लेकिन घायल हो गयी। फिलहाल वह अस्पताल में भर्ती है। घटना दक्षिण 24 परगना जिले के सुंदरवन के पाथेरप्रतीमा की है। महिला का नाम प्रणति प्रमाणिक है जो पाथेरप्रतीमा ब्लॉक के अश्विनी मैत्र खेयाघाट इलाके की है।
महिला की साहस का लोग प्रशंसा कर रहे हैं। वैसे तो सुंदरवन में बाघ के हमले की खबर हमेशा मिलती रहती है। कोई बाघ का शिकार हो जाता है तो कोई बाघ के चंगुल से बचकर निकल आता है। वहीं एक महिला अपनी वीरता की परिचय नहीं दी होती तो वह एक मगरमच्छ की खुराक बन गयी होती। 37 साल की वह महिला केकड़ा पकड़ने के लिए गयी थी। तभी एक मगरमच्छ उसकी साड़ी पकड़ लेता है। मगरमच्छ से छुटकारा पाने के लिए महिला मगरमच्छ से मुकाबला करने लगती है और गांव वालों को चीख चीखकर बुलाती रहती है।
जब तक गांव वाले पहुंचते तब तक महिला मगरमच्छ को वापस नदी में जाने को मजबूर कर देती है। इलाजरत महिला मगरमच्छ से संघर्ष की कहानी बयां करती हुई कहती है कि वह नदी के किनारे केकड़ा पकड़ने गयी थी तभी अचानक एक मगरमच्छ नदी के किनारे आकर उस पर हमला कर देता है। जान बचाने के लिए वह पास ही मौजूद एक पेड़ को पकड़ लेती है। इसके अलावा अपनी कपड़े से खुद को पेड़ से बांध लेती है। वह जोर-जोर से चीखने चिल्लाने लगती हैं। मगरमच्छ उसे पानी की ओर खींचता रहता है। अंततः उसकी चीख सुनकर गाँव के लोग दौड़ते हुए आ जाते हैं।
ग्रामवासियों की चीख-पुकार में तब तक मगरमच्छ भी भाग चुका था। तुरंत ही उस महिला को गंभीर चोटों की स्थिति में अस्पताल ले जाया गया। पैसों की कमी के कारण क्षेत्र के लोग इस तरह अपनी जान हथेली पर रखकर केकड़ा पकड़ने जाते हैं। स्थानीय एक निवासी के अनुसार महिला के पति रोजी-रोटी के लिए बाहर चले जाते हैं। प्रणति की बेटी स्कूल में पढ़ती है। बेटी की पढ़ाई और घर चलाने के लिए ही महिला को केकड़ा पकड़ना पड़ता है। केकड़े को पास के बाजार में बेचने के लिए जाती रहती है।