समाचार एई समय : भारी वर्षा से उत्तर बंगाल के बड़ा हिस्सा पूरी तरह तबाह हो गया है। बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए हैं। उत्तर बंगाल की कई नदियां भी उफान पर हैं। ऐसी स्थिति में उत्तर बंगाल में आयी बाढ़ के तेज बहाव में हाथियों के झुंड, बाइसन और गैंडे बह गए हैं। तोरसा नदी की धारा में कई जानवर बह गए। तोरसा नदी में बहे पांच गैंडों को ही मंगलवार को वन कर्मी जंगल में लौटा कर लाए हैं।
तोरसा के पांच गैंडे जल प्रवाह में बहकर अलीपुरदुआर की आबादी वाले क्षेत्र में आ गए थे। मंगलवार को उन्हें सुरक्षित रूप से जंगल में वापस लाया गया है। इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (IFS) की तरफ से परवीन कसवान ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गैंडे वापस आने के बाद काफी थके और डरे हुए थे। लेकिन पिछले तीन दिनों से वन विभाग, पुलिस और स्थानीय लोग उन गैंडों पर नजर रखे हुए थे। बाद में सावधानी से उन्हें जंगल की ओर लौटाया गया।
उन्होंने बताया कि कुल पांच गैंडों में से दो को पहले ही पानी के तेज बहाव से बचाकर जंगल भेज दिया गया था। बाकी तीन गैंडे पलाशबाड़ी, शिमलाबाड़ी और नतुनपाड़ा क्षेत्र में थे। उन्हें भी सोमवार को रात भर अभियान चलाकर सुरक्षित रूप से जंगल में वापस लाया गया है। उन्होंने बताया कि इस पूरे अभियान के दौरान किसी स्थानीय व्यक्ति या किसी वन्यजीव को कोई नुकसान नहीं हुआ है। वन विभाग ने उन सभी लोगों को धन्यवाद दिया जिन्होंने इस संयुक्त प्रयास में वन्यजीव संरक्षण के लिए मदद की।
उल्लेखनीय है कि सिर्फ तोरसा ही नहीं, जलढाका, शीषमारा, मेची के तेज बहाव में भी कई जानवर बह गए हैं। रविवार को एक गैंडे का शव बरामद किया गया था। सोमवार को जलढाका के मैदानी इलाके में एक बाइसन का शव भी बरामद किया गया था। स्थानीय निवासियों की तत्परता से धूपगुड़ी के डाकुआ में नदी से एक हिरण को बचाया गया। नक्सलबाड़ी में हाथी के एक बच्चे को बचाया गया। पांचों गैंडों के वापस आने से वन कर्मी और स्थानीय लोग कुछ राहत महसूस कर रहे हैं।