समाचार एई समय, दुधिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मिरिक के 'बेबी पहाड़' पर बहुमंजिली इमारतें न बनाने की सलाह दी है। मंगलवार को मिरिक अनुमंडल के दुधिया में दार्जिलिंग जिला प्रशासन द्वारा भूस्खलन में मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजा राशि वितरित की गयी। यह राशि मुख्यमंत्री ने वितरित की। इसके साथ ही दुधिया में बालासन पुल के जलमग्न होने से प्रभावित 59 लोगों को राहत सामग्री भी बांटी गयी। वहां मुख्यमंत्री ने पहाड़ और डुआर्स में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदाओं के कारणों का विश्लेषण किया और कहा कि मिरिक में बहुमंजिली इमारतें नहीं बनाई जानी चाहिए।
पिछले एक दशक में दार्जिलिंग की तरह मिरिक में भी एक के बाद एक ऊंची इमारतें बनायी गयी हैं। हालांकि दार्जिलिंग और कलिम्पोंग की तुलना में मिरिक अभी बहुत छोटा और नाजुक है। इस दिन ममता ने कहा, "मिरिक में ऊंची इमारतें मत बनाइए। यह अभी एक छोटी पहाड़ी है।"
उन्होंने भूटान का उदाहरण देते हुए कहा, 'भूटान बहुमंजिली इमारतों के निर्माण की अनुमति नहीं देता। उनके देश का एक बड़ा हिस्सा समतल है। यह निश्चित रूप से उनके लिए एक फायदा है।'
मुख्यमंत्री ने आज इस आपदा के लिए भूटान और सिक्किम पर उंगली उठाई। उन्होंने दावा किया कि सिक्किम में लगभग 14 पनबिजली संयंत्र बनाए गए हैं। भूटान ने भी कई पनबिजली संयंत्र बनाए हैं। शनिवार रात भारी बारिश के कारण सिक्किम के पनबिजली संयंत्रों ने बैराज के द्वार खोल दिए और पानी छोड़ दिया।
इसी तरह भूटान ने पहले ही चार जलविद्युत संयंत्रों के सभी द्वार खोल दिए थे। नतीजतन डुआर्स में हरपा बांध की तरह इतना अधिक पानी फैल गया। अपने तर्क में उन्होंने कहा, "वरना नागरकाटा तो निचली भूमि नहीं है। फिर वहां ऐसी स्थिति क्यों पैदा हुई?"
उन्होंने बताया कि अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 4-5 नाबालिग हैं। दो शव भूटान और नेपाल से बहकर समुद्र तट पर आ गये हैं। फिलहाल जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, अलीपुरद्वार और दार्जिलिंग जिलों में स्थिति सामान्य करने के लिए सात अधिकारियों को निगरानी का काम सौंपा गया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह फिर स्थिति का जायजा लेने के लिए आएंगी।