मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को दार्जिलिंग में आपदा प्रभावित पहाड़ी इलाकों में प्रशासनिक बैठक की। उन्होंने उत्तर बंगाल की मौजूदा स्थिति और आपदा से निपटने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों का ब्यौरा दिया। उन्होंने पुलिस और प्रशासन की भी सराहना की। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने केंद्र की भूमिका पर भी नाराजगी जताई।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्राकृतिक आपदा में 32 लोगों की मौत हुई है। दार्जिलिंग-मिरिक के 21, जलपाईगुड़ी के नागराकाटा के 9 और कूचबिहार के माथाभंगर के 2 लोगों की मौत हुई है। सरकार ने मृतकों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की है। परिवार के एक सदस्य को विशेष गृह रक्षक के पद पर नौकरी भी दी गई है।
इस दिन ममता ने कहा, 'हमें आज तक किसी से एक पैसा भी नहीं मिला है। हमने पूरी कोशिश की है। पुल टूट गए हैं। भूटानी पानी से कई सड़कें और पुलिया क्षतिग्रस्त हो गई हैं। कई घर नष्ट हो गए हैं। हमें घर बनाने हैं, सड़कों की मरम्मत करनी है और पुल बनाने हैं।'
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संकट की घड़ी में सभी को कोई न कोई जिम्मेदारी निभानी चाहिए। ममता ने कहा, "मैंने आपदा प्रबंधन के लिए एक खाता खुलवाया है। अगर कोई मदद करना चाहे तो कर सकता है लेकिन यह मुख्यमंत्री राहत कोष नहीं है। यह आपदा राहत कोष है आपदा कार्यों के लिए। आप वहां मदद कर सकते हैं। अगर कोई देना चाहता है तो दे। हम किसी से भीख नहीं मांगते। अगर कोई स्वेच्छा से देना चाहता है तो नकद देने की जरूरत नहीं है वे कोष में चेक दे सकते हैं।"
इसके बाद मुख्यमंत्री ने केंद्र के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा, "अगर आप न भी दें तो भी कोई हर्ज नहीं है। मैं तो जैसे-तैसे जूझ रही हूं। मुझे पांच साल से 100 दिन का पैसा नहीं मिला, ग्रामीण सड़कों, आवास या सर्व शिक्षा मिशन के लिए भी पैसा नहीं मिला। उसके बाद भी मैं तो जैसे-तैसे जूझ रही हूं। लोग मुझसे प्यार करते हैं इसलिए सब कुछ हो जाता है।"
इस दिन मुख्यमंत्री ने भूटान के पानी को लेकर भी अपना गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने संदेश दिया कि भूटान का पानी कम किया जाना चाहिए। कोई स्थायी समाधान निकाला जाना चाहिए। कोई ऐसा रास्ता निकाला जाना चाहिए जिससे भूटान के बांध का पानी उत्तर बंगाल को न डुबो सके। मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि बंगाल बार-बार क्यों झेले? इसके साथ ही उन्होंने इस दिन फिर से सवाल उठाया कि इतने बांध होने के बावजूद अगर सब कुछ बह जाता है तो बांध बनाने की क्या जरूरत है?
इस दिन मुख्यमंत्री ने कर्सियांग से बचाए गए एक हाथी के बच्चे का नाम भी लिया। उन्होंने उस बछड़े का नाम 'लकी' रखा जिसने जलदापाड़ा के होलोंग सेंट्रल पीलखाना में शरण ली थी जो आपदा में बह गया था।