केंद्र ने अभी तक किसी आर्थिक मदद की घोषणा नहीं की है उल्टा मुझे गालियां दे रहा है- ममता

आपदा में भी वंचित बंगाल! राहत को लेकर विवाद

By Prasenjit Bera, Posted by: Shweta Singh

Oct 08, 2025 09:28 IST

एई समय। ममता बनर्जी पिछले दो-ढाई सालों से केंद्र की विभिन्न परियोजनाओं से बंगाल को वंचित रखने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार पर लगातार हमला बोल रही हैं। इस बार बंगाल की मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया है कि उत्तर बंगाल में आई भीषण आपदा के बाद केंद्र ने अभी तक किसी राहत पैकेज की घोषणा नहीं की है।

ममता इस बात से बेहद नाखुश हैं कि प्रधानमंत्री ने अभी तक इस आपदा से निपटने के लिए किसी भी तरह की आर्थिक मदद का ऐलान नहीं किया है, जबकि उन्होंने राहत सामग्री बांटते समय भाजपा सांसद खगेन मुर्मू और विधायक शंकर घोष के घायल होने के बाद पश्चिम बंगाल की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि मोदी सरकार इस संकट के समय राजनीति कर रही है।

मोदी ने रविवार को अपने एक्स हैंडल पर सबसे पहले उत्तर बंगाल में आई आपदा के बारे में पोस्ट किया। उन्होंने सोमवार को अपने एक्स हैंडल पर खगेन मुर्मू और शंकर घोष पर हुए हमलों के बारे में फिर से पोस्ट किया। क्या मोदी सरकार ने इस आपदा के बाद किसी विशेष वित्तीय सहायता का वादा किया है?

मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, 'नहीं। राज्य के साथ खड़े होने का कोई संदेश नहीं दिया गया उल्टा वे मुझे ही गाली दे रहे हैं! पहले तो प्रधानमंत्री ने ट्वीट करके कहा कि पुल गिरने से लोग मारे गए हैं! यह उनकी गलती नहीं है। यह उन लोगों की गलती है जो उन्हें जानकारी दे रहे हैं। उन्हें तो चुनी हुई सरकार पर भरोसा करना होगा। वह अपनी पार्टी की बातें सुनकर राज्य सरकार को दोषी नहीं ठहरा सकते।'

तृणमूल नेतृत्व ने कहा कि नरेंद्र मोदी सहित गेरुआ खेमे का नेतृत्व नागराकाटा के बामुनडांगा में हुई हिंसा पर हंगामा तो मचा रहा है लेकिन इस आपदा के समय में उत्तर बंगाल को सहायता देने के बारे में वे बिल्कुल चुप हैं।तृणमूल नेतृत्व ने दावा किया कि कुछ दिन पहले उत्तराखंड में आई भीषण आपदा के बाद केंद्र ने आर्थिक सहायता के लिए हाथ बढ़ाया था। हालांकि बंगाल के मामले में अभी तक ऐसी कोई पहल नहीं की गयी है।

ममता बनर्जी ने कहा कि"पांच साल से आवास योजनाओं का पैसा रुका हुआ है, ग्रामीण सड़कों का पैसा रुका हुआ है, 100 दिनों के काम का पैसा भी रुका हुआ है। सर्वशिक्षा का पैसा रुका हुआ है। हमें जन स्वास्थ्य का पैसा नहीं मिल रहा है जिससे पेयजल परियोजनाएं बनती हैं। बाढ़ में डबल इंजन वाली सरकार को पैसा मिलता है लेकिन पश्चिम बंगाल को नहीं। मुझे नहीं पता कि पश्चिम बंगाल उपेक्षित संतान है या नहीं! इसीलिए उसके साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है!"

हालांकि शुभेंदु अधिकारी ने ममता के इन आरोपों को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया है कि केंद्र की मोदी सरकार ने उत्तर बंगाल में आई आपदा में आर्थिक मदद नहीं की है। सिलीगुड़ी में विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, "उन्होंने पूरी तरह से झूठा राजनीतिक बयान दिया है। केंद्रीय आपदा राहत कोष से 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जारी की गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह धनराशि जारी की है। उन्होंने (ममता) गलत मकसद से यह टिप्पणी की है।"

दार्जिलिंग से भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने 5 अक्टूबर को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उत्तर बंगाल में आई आपदा को 'राज्य स्तरीय आपदा' घोषित करने की मांग की थी। कई भाजपा नेताओं ने भी यही मांग की है।

हालांकि ममता ने सवाल किया, 'महाकुंभ में इतने लोग मारे गए। क्या तब आपदा घोषित की गई थी? क्या मणिपुर की स्थिति को आपदा कहा गया था? असम में इतने लोग मारे गए, क्या उसे आपदा कहा गया? उसके बाद भी उन्हें मुआवजा कैसे मिला? वहाँ डबल इंजन वाली सरकार है इसलिए? हम सिंगल इंजन वाली सरकार हैं इसलिए हमें मुआवजा नहीं मिलेगा?'

ममता ने आरोप लगाया था कि चक्रवात के बाद भी राज्य सरकार को उसका बकाया पैसा नहीं मिला। ममता ने कहा कि भले ही केंद्र ने उत्तर बंगाल के मामले में वित्तीय सहायता नहीं दी लेकिन राज्य सरकार अपनी पूरी क्षमता से बचाव और राहत कार्य कर रही है। यह भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि केंद्र ने पश्चिम बंगाल में आई आपदा पर अभी तक कोई रिपोर्ट मांगी है या नहीं।

मुख्यमंत्री को लगता है कि अगर केंद्र सरकार रिपोर्ट चाहती है तो उस रिपोर्ट को बनाने में कम से कम 15 दिन का वक्त लगेगा। ममता ने कहा, 'अगर कुछ होता है तो केंद्र सरकार 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट चाहती है लेकिन जमीनी सर्वेक्षण किए बगैर मैं रिपोर्ट कैसे दे सकती हूं? हम लोग न तो जादूगर हैं और न ही भगवान।'

उत्तर बंगाल में शनिवार रात एक आपदा आई। मुख्यमंत्री ने बताया कि रविवार सुबह 5 बजे उनकी मुख्य सचिव के साथ बैठक हुई। ममता को सूचना मिली कि प्रशासन ने सुबह 9 बजे तक राहत कार्य शुरू कर दिया था। प्रशासनिक अधिकारी अभी भी उस काम में लगे हुए हैं। फिलहाल जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, अलीपुरद्वार और दार्जिलिंग जिलों में स्थिति सामान्य करने की निगरानी की जिम्मेदारी सात अधिकारियों को दी गई है। ये अधिकारी लंबे समय तक प्रभावित इलाकों में रहेंगे।

ममता ने सवाल उठाया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को ऐसी स्थिति में ऐसा पोस्ट कैसे किया। मुख्यमंत्री ने कहा, "जब प्रशासन में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से लेकर डीएस-एसपी-बीडीओ तक हर कोई बचाव कार्य में लगा हुआ है तब वह केवल अपनी पार्टी की रिपोर्ट पर कैसे विश्वास कर सकते हैं? संकट के समय राजनीति न करें।"

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