जिलाधिकारी का नया आदेश - आधार कार्ड की फोटोकॉपी के बिना नहीं दर्ज होगी शिकायत, कहां?

कई मामलों में व्यक्तिगत आक्रोश की वजह से झूठी शिकायतें भी की जा रही है। ऐसे ही 'फर्जी' शिकायतों से बचने और 'पारदर्शिता' लाने के लिए जिलाधिकारी के कार्यालय ने यह फैसला लिया है।

By Titli Biswas, Posted By : Moumita Bhattacharya

Oct 10, 2025 15:39 IST

शीतल चक्रवर्ती

जिलाधिकारी के कार्यालय में शिकायत दर्ज कराने के लिए अब आधार कार्ड की फोटोकॉपी अनिवार्य तौर पर रखनी होगी। इसके अलावा शिकायतकर्ता को कार्यालय के रजिस्टर में हस्ताक्षर और मोबाइल नंबर लिखना अनिवार्य है।

पर अचानक ऐसा फैसला क्यों? जानकारी मिली है कि सड़क निर्माण के काम में भ्रष्टाचार से लेकर अवैध निर्माण तक, इलाके में बैठकर नशा करने से लेकर नाली तक को बंद करने तक— ऐसी तमाम शिकायतें जिलाधिकारी के कार्यालय में जमा होती हैं। जानकारी के अनुसार पिछले एक साल में दक्षिण दिनाजपुर के विभिन्न हिस्सों से ऐसी 350–400 शिकायतें जिलाधिकारी के कार्यालय में जमा हुई हैं।

बाद में जांच करने पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों ने देखा है कि इनमें से कई शिकायतों बेकार ही की गयी है। कई मामलों में व्यक्तिगत आक्रोश की वजह से झूठी शिकायतें भी की जा रही है। ऐसे ही 'फर्जी' शिकायतों से बचने और 'पारदर्शिता' लाने के लिए जिलाधिकारी के कार्यालय ने यह फैसला लिया है। हालांकि विरोधियों का दावा है कि इस फैसले से भ्रष्टाचार के मामलों को आसानी से छिपाया जा सकेगा। उनकी आशंका है कि पहचान उजागर हो जाने के डर से पीड़ित अब शिकायत दर्ज करवाने की हिम्मत नहीं करेंगे।

बताया जाता है कि हाल ही में जिलाधिकारी के कार्यालय में एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज करवायी कि उसके इलाके में जुआ खेला जा रहा है। उस व्यक्ति ने खुद को बालुरघाट के कामारपाड़ा का निवासी बताया। बाद में जांच करने पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों को उस शिकायत में कोई सच्चाई नहीं मिली। प्रशासन का दावा है कि इस तरह की कई 'फर्जी' शिकायतें पिछले एक साल में आई हैं। उसके बाद ही इस साल अक्टूबर में जिलाधिकारी विजिन कृष्णा ने आदेश दिया है कि शिकायत की सत्यता जांचने की सुविधा के लिए शिकायतकर्ता को अनिवार्य रूप से आधार कार्ड की फोटोकॉपी जमा करनी होगी।

उनका कहना है कि प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए ही ऐसी पहल की गई है। इससे किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए। राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी ने जिलाधिकारी के फैसले का समर्थन किया है। तृणमूल के जिला मीडिया कन्वेनर जयंतकुमार दास कहते हैं कि यदि पारदर्शिता लानी ही है, तो सभी को नियम माननी चाहिए। झूठी शिकायत रोकने के लिए ही ऐसी पहल की जा रही है।

कुछ महीने पहले जिले के हरिरामपुर में एक सड़क के निर्माण का टेंडर आमंत्रित किया गया था। आरोप है कि जिला पंचायत के फंड से सारा रुपया लेने के बाद भी ठेकेदार ने सड़क निर्माण का काम पूरा नहीं किया। यह शिकायत जिलाधिकारी के ऑफिस में की गयी। इसके बाद ही ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। बताया जाता है कि शिकायतकर्ता ने अपनी पहचान छिपाकर 'अनजान' के तौर पर शिकायत दर्ज करवायी थी। विरोधी ऐसे उदाहरण ही सामने रखकर ही नए नियम को 'मुंह बंद करने की रणनीति' करार दे रहे हैं।

भाजपा जिला अध्यक्ष स्वरूप चौधरी का कहना है कि भ्रष्टाचार की लिखित शिकायत दर्ज कराने पर ही पहचान उजागर हो जाएगी। जो लोकतांत्रिक व्यवस्था में बिल्कुल भी शोभनीय नहीं है। जिला कांग्रेस नेता नंद दास का कहना है कि इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ गुप्त शिकायत अब नहीं आएगी। वहीं सीपीआई (एम) के जिला सचिव नंदलाल हजरा का मानना है कि यह लोगों को डराने का नया तरीका है। इससे आम लोगों का मुंह बंद कराया जा सकेगा।

Prev Article
घनी आबादी वाले इलाके से जंगल में लौटने से गैंडे ने कर दिया इनकार
Next Article
पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉन बार्ला ने अपने लिए चुनी नई जीवनसंगिनी, कौन हैं वह?

Articles you may like: