तोरसा नदी के बहाव में बह गए एक गैंडे को आखिरकार 40 घंटों के प्रयाद के बाद जलदापाड़ा राष्ट्रीय उद्यान में वापस लाया जा सका है। मंगलवार की देर शाम से कोशिशों का यह सिलसिला शुरू हुआ था लेकिन बुधवार की सुबह तक 12 घंटों में उसे राष्ट्रीय उद्यान की तरफ मात्र 100 मीटर ही लाना संभव हो सका था।
बुधवार को कूचबिहार जिले के माथाभांगा 2 ब्लॉक के धलोगुड़ी इलाके में केले के एक बगान में वह ऐसे जमकर खड़ा था मानो धरती पर अंगद के पांव जम गए हो। हालांकि वन विभाग की ओर से सावधानी बरतने में कोई कमी नहीं की जा रही थी। गैंडे को राष्ट्रीय उद्यान में वापस लेकर जाने के लिए 4 कुनकी हाथियों को भी तैनात किया गया था। इसके अलावा कम से कम 100 से अधिक वनकर्मी व अधिकारी पुलिस के साथ लगातार कोशिशें कर रहे थे। लेकिन गैंडा टस से मस होने को ही राजी नहीं था।
हुटर बजाने का न तो कोई असर और न ही उत्सुक आम लोगों की भीड़ देखकर कोई परवाह। मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में वह गैंडा जहां है, वहां से पातलाखावार रसमती का जंगल मात्र 3 किमी दूर है लेकिन जलदापारा का जंगल लगभग 18 किमी की दूरी पर मौजूद है। इसलिए फिलहाल गैंडे को रसमती के जंगल की तरफ ही ले जाने का फैसला लिया गया है।
इस बारे में जलदापारा राष्ट्रीय उद्यान के सहकारी वन्यप्राणी संरक्षक नविकांत झा का कहना है कि गैंडे को आबादी वाली जगह से जंगल में वापस लौटाते समय हम किसी प्रकार की जल्दबाजी नहीं करना चाहते हैं। जल्दबाजी करने पर अगर गैंडा बिदक गया तो वह लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है। इस अभियान में वन्यप्राणी और आम लोगों दोनों की सुरक्षा को समान रूप से महत्व देने की जरूरत है।
बांग्लादेश बहकर पहुंचा गैंडे का शव
वहीं दूसरी तरफ रविवार को जलढाका नदी में आए बाढ़ में गोरुमारा व आसपास के जंगली इलाकों से बड़ी संख्या में वन्य जीव के बह जाने की जानकारी मिली। बुधवार को बांग्लादेश के कुड़ीग्राम इलाके में एक पुरुष गैंडे का शव बरामद हुआ है। बताया जाता है कि यह गोरुमारा के जंगलों का ही गैंडा है। बांग्लादेश के जिस हिस्से से गैंडे का शव बरामद हुआ है, वह गोरुमारा से करीब 160 किमी की दूरी पर मौजूद है। ऐसे में पानी के बहाव में एक गैंडे का इतनी दूर बह जाना वन्यकर्मियों को हैरान कर रहा है।
इस बारे में पर्यावरणविद नंदू राय का कहना है कि यह चिंता का विषय है। रविवार को पानी के बहाव में जानवरों के बह जाने से मृत्यु की संख्या और बढ़ेगी। हर वन विभाग की मदद कर रहे हैं। उत्तर बंगाल वन्यप्राणी शाखा के मुख्य वनपाल भाष्कर जेवी का कहना है कि बांग्लादेश के कुड़ीग्राम से गैंडे का जो शव बरामद हुआ है, उसका पोस्टमॉर्टम बांग्लादेश वन विभाग करेगी।