भूटान से आए पानी की वजह से ही उत्तर बंगाल में इतनी बड़ी आपदा आयी है। इसलिए भूटान को ही इसकी क्षतिपूर्ति करनी होगी। उत्तर बंगाल के दौरे पर गयी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने सोमवार को बाढ़ व भूस्खलन प्रभावित नागराकाटा से उक्त बातें कही। ममता बनर्जी नागराकाटा के वामडांगा आदर्श ग्राम में पहुंची, जहां उन्होंने राहत-बचाव कार्यों का जायजा लिया। वहां पहुंचकर उन्होंने स्थानीय लोगों की मदद का आश्वास दिया। जिन परिवारों ने इस आपदा में अपने परिजनों को खोया, ऐसे 7 परिवारों को उन्होंने नौकरी के कागजात सौंप दिया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उत्तर बंगाल से दावा किया कि यह आपदा भूटान से आए पानी की वजह से ही आयी है। उन्होंने दावा करते हुए कहा, 'भूटान के पानी की वजह से ही इतनी बड़ी घटना घटी है। काफी दिनों से इंडो-भूटान रिवर कमिशन तैयार करने की बात कह रही हूं। इसमें बंगाल को भी रखने की बात कही। मुझे पता चला है कि हमारे दबाव की वजह से ही 14 तारीख को एक बैठक होने वाली है। हम एक व्यक्ति को प्रतिनिधि के तौर पर भेजेंगे। लेकिन भूटान की वजह से जब इतनी बड़ी घटना घटी है, तब उन्हें ही नुकसान की भरपाई करना चाहिए। दिल्ली तो कुछ नहीं कर रहा है। सब कुछ हमें ही करना पड़ता है।'
इसके साथ ही भूटान से पानी के साथ बहकर आए डोलोमाइट को लेकर भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने असंतोष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि अगर पानी छोड़ रहे हैं, तब बता छोड़ेंगे तो। पानी के साथ बहकर डोलोमाइट आ रहा है। उससे और भी नुकसान बढ़ रहा है। उस डोलोमाइट के धक्के से मकान टूट रहे हैं। स्थानीय प्रशासन से उन्होंने डोलोमाइट को बाहर निकाल लेने का आदेश दिया है।
मुख्यमंत्री ने स्थानीय निवासियों को आश्वासन दिया है कि चिंता की कोई बात नहीं है। जिनका मकान टूट गया है, उनका मकान बना दिया जाएगा। शिविर बनाया गया है, वहां जाकर नाम लिखवाएं। अगर गाय-बकरी (पालतू पशु) खो गया हो तब भी नाम लिखवाए। प्रशासन मदद के लिए ही है। फिलहाल नदी के ऊपर अस्थायी सेतु बना दिया जा रहा है। जल्द ही बाकी सब ठीक कर दिया जाएगा।
बताया जाता है कि इस आपदा में हुए नुकसान का आंकलन करने के लिए वामनडांगा में शिविर खोला जा चुका है।