मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर एसआईआर को लेकर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर संदेह जताया है। गुरुवार को नबान्न में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, "वोट काटने की साजिश चल रही है।" इस सिलसिले में केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर की टिप्पणी उनका हथियार बन गई। गुरुवार को सुतिया में विजया सम्मिलनी कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय बंदरगाह,जहाजरानी और जलमार्ग राज्य मंत्री और बनगांव के सांसद शांतनु ठाकुर ने एसआईआर का मुद्दा उठाया।
सांसद ने दावा किया कि एसआईआर की चाहे जितनी भी आलोचना हो अगर इसे वास्तव में लागू किया जाता है तो इस सरकार के लिए कोई रास्ता नहीं बचेगा। सांसद ने कहा, "अगर एसआईआर लागू हो जाता है तो राज्य के लगभग 1.2 करोड़ अवैध मतदाता सूची से हट जाएंगे। रोहिंग्या मुसलमान, बांग्लादेशी मुसलमान, फर्जी मतदाता - ये सभी अब पश्चिम बंगाल में वोट नहीं दे पाएंगे।" शांतनु के अनुसार, "अगर एसआईआर लागू हो जाता है तो आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी तभी उद्योग, शिक्षा और विकास चाहने वाले निष्पक्ष रूप से मतदान कर पाएंगे।"
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शांतनु ठाकुर का नाम लिए बिना उनकी टिप्पणी का इस्तेमाल करते हुए नबान्न में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन पर पलटवार किया। उन्होंने कहा, "भाजपा का एक केंद्रीय मंत्री यह कैसे कह सकता है कि एसआईआर पर काम शुरू होने से पहले डेढ़ करोड़ लोगों के नाम हटा दिए जाएंगे? क्या इसका मतलब यह है कि पार्टी दफ्तर में बैठकर योजनाएं बना रही है और आयोग से उन पर मुहर लगवा लेगी?" इस संदर्भ में मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग को उसकी निष्पक्ष भूमिका की याद दिलाई।
बात यहीं खत्म नहीं होती है। ममता बनर्जी ने यह भी दावा किया कि SIR नाम से वैध मतदाताओं के नाम हटाकर वोट बैंक को प्रभावित करने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ कागजात दिखाते हुए दावा किया कि असम सरकार की ओर से नदिया के एक निवासी को एक नोटिस भेजा गया है। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि यह 'एनआरसी' के लिए एक नोटिस है।
इस दिन ममता ने कहा था, "यह SIR नहीं, NRC की साजिश है। मैं भाजपा की निंदा करती हूं, उन सभी संगठनों की जो भाजपा के शब्दों पर राजनीति कर रहे हैं। शिक्षा, संस्कृति, त्यौहार, मतदाता सूची, हर चीज का धर्मनिरपेक्षीकरण किया जा रहा है। दिल्ली में एक मीर जाफर है। ये मीर जाफर जिंदगी में कभी नहीं मरते।"
तृणमूल खेमा शुरू से ही एसआईआर प्रक्रिया के उद्देश्य पर सवाल उठाता रहा है। तृणमूल का शीर्ष नेतृत्व भी बिहार एसआईआर को लेकर कई बार मुखर रहा है। यहां तक कि 21 जुलाई की सभा के मंच से ही ममता बनर्जी ने कहा था, "अगर बंगाल में वैध मतदाताओं के नाम एसआईआर से हटाये गये तो हम विरोध करेंगे। जरूरत पड़ी तो तृणमूल आयोग के दफ्तर का घेराव करेगी।" पार्टी के अखिल भारतीय महासचिव और डायमंड हार्बर से तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा, "एसआईआर एक साइलेंट इनविजिबल रिगिंग (चुपचाप की जा रही धांधली)है।" उनके अनुसार, यह "चुपचाप वोटों में हेराफेरी" की योजना है।