शुक्र और मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यान उतारने के साथ ISRO कर रहा है चंद्रयान - 4 की तैयारी : वी. नारायणन

चांद को लेकर ISRO की सबसे बड़ी योजना 2040 के आसपास बन रही है। उस समय चांद की धरती पर...

By Kubalay Banerjee, Posted By : Moumita Bhattacharya

Nov 14, 2025 15:26 IST

गुरुवार को वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन सेंटर (VECC) द्वारा इंडियन क्रायोजेनिक काउंसिल की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ISRO के चेयरमैन वी. नारायणन कोलकाता आए। इस मौके पर उन्होंने घोषणा की करते हुए कहा कि शुक्र और मंगल ग्रह पर अंतरिक्षयान उतारने की तैयारियां शुरू कर दी गयी है। गुरुवार को ICC के कार्यक्रम में कोलकाता में वी. नारायणन का आना बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि उन्हें भारत में शीर्ष का क्रायोजेनिक इंजीनियर माना जाता है।

अगले 22 सालों में भारत बनाएगा अपनी अलग जगह

ISRO के चेयरमैन की जिम्मेदारी संभालने से पहले वह लिक्विड प्रोपॉल्शन सिस्टम सेंटर के अधिकारी रह चुके हैं। ISRO का चेयरमैन होने की वजह से भविष्य में भारत अंतरिक्ष की गहराईयों में झांकने के लिए क्या-क्या योजनाएं बना रहा है, इस बारे में उन्होंने विस्तार से बातचीत की। वी. नारायणन ने कहा कि शुक्र ग्रह पर लैंडर उतारने का सरकारी अनुमोदन हमें मिल चुका है।

केंद्रीय विज्ञान मंत्रालय से मंगल ग्रह पर लैंडर उतारने की अनुमति मांगी गयी है। वह अनुमति किसी भी दिन हमें मिल सकती है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि वर्ष 2047 तक यानी अगले 22 सालों में भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में अपनी अलग जगह बनाने में कामयाब हो जाएगा।

बनेगा भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन

'एई समय' से हुई खास बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, 'अंतरिक्ष में भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को भेजने की बात अब सभी जानते हैं। लेकिन हम वहीं रुकने नहीं वाले हैं। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की तरह ही 'भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन' भी बनाया जाएगा। उसके पहले चरण के यंत्रों को 2028 से भेजना शुरू किया जाएगा।'

चंद्रयान - 4

ISRO के चेयरमैन वी. नारायणन ने बताया कि वर्ष 2027-28 में चंद्रयान-4 की योजना बनायी जा रही है। इस अभियान में चंद्रमा की धरती पर लैंडर को सॉफ्ट लैंडिंग करवाकर उसे धरती पर वापस लौटा कर लाया जाएगा। लेकिन चांद को लेकर ISRO की सबसे बड़ी योजना 2040 के आसपास बन रही है। उस समय चांद की धरती पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री को चहलकदमी करवाने की योजना बनायी जा रही है। इसके साथ ही पड़ोसी दोनों ग्रहों - शुक्र और मंगल पर भी अंतरिक्षयान को उतारने के लिए अनुसंधान शुरू कर दिया गया है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि घने बादलों से ढंके शुक्र ग्रह की धरती पर अंतरिक्षयान को उतारने का काम ही सबसे मुश्किल और चुनौतीपूर्ण होने वाला है। इस ग्रह की ऊपरी परत का तापमान करीब 464 डिग्री सेल्सियस होता है। इतना अधिक तापमान होने की वजह से ही अभी तक शुक्र ग्रह पर ज्यादा अनुसंधानयान नहीं भेजा गया है। अब ISRO ने इस चुनौतीपूर्ण काम को सफलतापूर्वक पूरा करने की ठान ली है।

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