चुनाव आयोग ने बंगाल में एसआईआर की तैयारियां शुरू कर दी हैं। आयोग के अधिकारियों ने अलग-अलग ज़िलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें शुरू कर दी हैं। इस बीच राज्य की सत्ताधारी पार्टी ने आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। गुरुवार को एक के बाद एक तृणमूल नेता एसआईआर को लेकर मुखर हुए। जवाब में भाजपा ने 'फर्जी' मतदाताओं की गिनती शुरू कर दी।
दमदम बैरकपुर सांगठनिक जिला महिला तृणमूल कांग्रेस ने टीटागढ़ में विजय सम्मेलन कार्यक्रम का आयोजन किया। वहां तृणमूल नेता शोभनदेव ने कहा, "अगर किसी वैध मतदाता का नाम हटाया गया तो ज़रूरत पड़ने पर मैं सड़क पर लेट जाऊंगा, इसके लिए अगर मुझे अपना खून बहाना पड़ा तो मैं खून बहाऊंगा।" दूसरी ओर बैरकपुर के सांसद पार्थ भौमिक ने बैरकपुर में एक सभा से कहा, "अगर किसी वैध मतदाता का नाम छूटा तो आस-पड़ोस के भाजपा नेताओं को पकड़ कर उन्हें नज़रबंद कर दीजिए। हम किसी वैध मतदाता का नाम नहीं छूटने देंगे। इसके लिए जो भी करना होगा हम करेंगे।"
तृणमूल के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर हर जिले में विजया सम्मेलन शुरू हो गया है। वहां तृणमूल नेतृत्व ने जनसंपर्क के जरिए एसआईआर के बारे में जनमत तैयार किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को दावा किया कि एनआरसी दरअसल एसआईआर के नाम पर किया जा रहा है। पार्टी नेता के लहजे में तृणमूल के अन्य नेताओं ने भी एसआईआर और आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं।
दूसरी ओर एसआईआर का समर्थन करते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इस दिन कहा, "अगर पश्चिम बंगाल में एसआईआर ठीक से हो तो 1.2 करोड़ लोगों के नाम बाहर कर दिए जाने चाहिए। अगर एक व्यक्ति बंगाल में पैदा हुआ है तो ढाई लोग मतदाता बन गए हैं। मतलब कई लाख लोग जो यहां पैदा नहीं हुए वे मतदाता बन गए हैं। वे बांग्लादेश से आए हैं क्योंकि 540 किलोमीटर की सीमा पर कंटीले तार नहीं हैं। इसकी वजह ये कि राज्य सरकार ने बीएसएफ को जमीन नहीं दी।" केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने भी इस दिन 1.2 करोड़ लोगों के नाम बाहर करने का ज़िक्र किया।