उत्तर हो या दक्षिण बंगाल लेकिन टोटो (ई-रिक्शा) को लेकर शिकायतें कम होने का नाम ही नहीं लेती हैं। ऐसी स्थिति में राज्य के परिवहन विभाग ने बड़ा फैसला लिया है। अब टोटो की मनमानी को रोकने के लिए सभी टोटो में नंबर प्लेट लगाने को अनिवार्य किया जा रहा है। शुक्रवार को इस बारे में राज्य के परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती ने बताया कि फिलहाल अस्थायी रूप से एनरोलमेंट नंबर के आधार पर ही क्यूआर कोड (QR Code) समेत नंबर प्लेट दिया जाएगा।
बताया जाता है कि परिवहन विभाग ने फैसला लिया है कि अब राज्य भर के सभी टोटो को रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार टोटो के रजिस्ट्रेशन के लिए प्राथमिक तौर पर ₹1000 देना होगा। 6 महीने बाद से हर माह ₹100 और वार्षिक तौर पर ₹1200 का शुल्क चुकाना पड़ेगा। इसके साथ टोटोचालकों का बीमा भी करवाया जाएगा।
बताया जाता है कि 30 नवंबर तक सभी टोटो चालकों को अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन करवा लेना होगा। मिली जानकारी के अनुसार अगर किसी टोटो ने रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया तो उन्हें रास्तों पर नहीं चलाने दिया जाएगा। सभी गैरकानूनी टोटो के खिलाफ पुलिस, परिवहन विभाग और टोटो यूनियन अभियान चलाएंगे।
राज्य में कितनी टोटो चलती है? इसका सटीक आंकड़ा राज्य के परिवहन विभाग के पास भी नहीं है। 13 अक्तूबर से 13 नवंबर के बीच में टोटो को चिह्नित करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। ऑनलाइन के साथ ही कुछ सरकारी सहायता केंद्र से भी यह काम किया जाएगा। इस बारे में स्नेहाशिष चक्रवर्ती ने बताया कि हर टोटो पर क्यूआर कोड लगाया हुआ स्टीकर लगाया जाएगा। चिह्नित करने का काम सम्पन्न होने के बाद सभी टोटो का रूट निर्धारित कर दिया जाएगा। निर्धारित रूट पर ही टोटो चलेंगी।
बताया जाता है कि राज्य सरकार टोटो के निर्माण और उनकी बिक्री पर भी नियंत्रण लाने वाली है। कोई भी स्थानीय टेंडर या संस्थान भविष्य में बिना राज्य सरकार की अनुमति के टोटो का न तो निर्माण और न ही बिक्री कर पाएगी। सिर्फ इतना ही नहीं राज्य के परिवहन विभाग ने टोटो की मनमानी और दबंगई को नियंत्रित करने और निजी यात्रियों परिवहनों की मांग को ध्यान में रखते हुए अगले साल से टोटो को 'ऑड-इवन' नियमानुसार चलाने का फैसला लिया है।
बताया जाता है कि अगर 'ऑड-इवन' नियम लागू हो जाता है तो रास्ते पर सभी टोटो नहीं चल सकेंगे। इसकी जिम्मेदारी स्थानीय निगम और पुलिस को सौंपी जाएगी।